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ग़ज़ल ( यक बयक हादसा घट गया )

ग़ज़ल (  हादसा घट गया )

--------

212 -212 -212

यक बयक हादसा घट  गया ।

राहे उल्फत से वह हट गया ।

ज़ुल्म में ही था शामिल करम

था गुमाँ मुझको वह पट गया ।

जाऊं सदक़े सियासत तेरे

हर कोई क़ौम में बट गया ।

नाव भी डगमगाने लगी

हो रहा है गुमाँ तट गया ।

ऐसा लगता है फ़हरिस्त से

नाम शायद मेरा कट गया ।

खाये पत्थर गली में तेरी

सर मेरा यूँ नहीं फट गया ।

उनका कूचा यह तस्दीक़ है

मैं यहां यूँ नहीं डट गया ।

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 21, 2016 at 1:51pm

पाबन्दी तो आदरणीय तस्दीक भाईजी, यह भी नहीं है कि ग़ज़ल लिखी न जाये.

वस्तुतः ग़ज़ल आज लिखी ही जा रही है. लेकिन शब्द प्रयोग की परिपाटी भी कोई चीज़ हुआ करती है, जिसके अनुसार ग़ज़लें कही जाती हैं. इसी ’कहे जाने’ के कारण ग़ज़लों के मिसरों के विन्यास विशिष्ट हो जाया करते हैं. अन्यथा ग़ज़लों को लेकर इस महीनी को न जानने वाले भी ग़ज़लें बखूबी ’लिख’ रहे हैं और इसे बलात कविता के स्तर पर ला खड़ा कर रहे हैं. उनके हिसाब से ग़ज़ल है क्या ? एक तरह की कविताई ही तो ! और देखिये ऐसे ही लोगों ने ग़ज़लग़ोई का कबाड़ा कर रखा है. 

हर शब्द का अपना विन्यास तो होता ही है, उनके बरते जाने की परिपाटी भी हुआ करती है. मैंने इसी परिपाटी के आधार पर कुछ कहा है. यह अब अलग बात है, कि आपने हादसे का घट जाना प्रयोग कर लिया है. और उसके लिए अपने तर्क दे रहे हैं. फिर तो बात ही अलग है. 

सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 20, 2016 at 10:41pm

मोहतरम जनाब सौरभ साहिब ,  हादसा होना या हादसा घटना मेरी जानकारी के हिसाब से एक ही बात है ।  क़ाफ़िए के हिसाब से हादसा के साथ घट इस्तेमाल किया गया है , ऐसी कोई पाबंदी तो है नहीं, हादसा के साथ घट इस्तेमाल नहीं हो सकता। ------शुक्रिया    


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 19, 2016 at 9:11pm

आपकी समझाइश से क्या तात्पर्य है, आदरणीय ? मुझे अब क्या समझना चाहिए ? 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2016 at 9:04pm

मोहतरम जनाब सौरभ साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया। ...... आप सही फरमा रहे हैं , हादसा और होना उर्दू में है , दुर्घटना और घटना हिंदी  है ।  चूंकि क़ाफ़िया हिंदी का है इसलिए घट के साथ हादसा लिया है, कोई घटना , घटना या घटना का  होना का मतलब हादसा घटना या होना, । मक़ते में यह की ह  गिरी है  , टाइप में ये की जगह यह हो गया। ......... सादर      


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 19, 2016 at 8:23pm

जाऊं सदक़े सियासत तेरे

हर कोई क़ौम में बट गया ।

नाव भी डगमगाने लगी

हो रहा है गुमाँ तट गया ।

खाये पत्थर गली में तेरी

सर मेरा यूँ नहीं फट गया 

उपर्युक्त तीन शेर विशेष लगे आदरणीय. दादकुबूल फ़रमयें. 

मतले में ’हादसा’ का ’घट’ जाना तनिक असहज कर रहा है. कारण कि हादसे हो जाया करते हैं. दुर्घटनाएँ घट जाया करती हैं. इस विन्दु पर आप संतुष्ट हो लीजियेगा. फिर हम भी संतुष्ट होना चाहेंगे. 

फिर, उनका कूचा यह तस्दीक़ है .. यह को ये कर लेना उचित होगा. 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 16, 2016 at 8:31pm

 जनाब ब्रजेश कुमार  साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया    

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 16, 2016 at 8:30pm

मोहतरम जनाब सुशील सरना साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया    

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 15, 2016 at 10:52pm

वाह बहुत ही खूबसूरत

Comment by Sushil Sarna on June 15, 2016 at 8:44pm

यक बयक हादसा घट गया ।
राहे उल्फत से वह हट गया ।
ज़ुल्म में ही था शामिल करम
था गुमाँ मुझको वह पट गया ।

वाह बहुत ही गज़ब के अशआर कहे हैं आदरणीय आपने। .. दिल को छू गए .... इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 15, 2016 at 8:37pm

मोहतरम जनाब गोपाल नारायण  साहिब  ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया

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