For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( यक बयक हादसा घट गया )

ग़ज़ल (  हादसा घट गया )

--------

212 -212 -212

यक बयक हादसा घट  गया ।

राहे उल्फत से वह हट गया ।

ज़ुल्म में ही था शामिल करम

था गुमाँ मुझको वह पट गया ।

जाऊं सदक़े सियासत तेरे

हर कोई क़ौम में बट गया ।

नाव भी डगमगाने लगी

हो रहा है गुमाँ तट गया ।

ऐसा लगता है फ़हरिस्त से

नाम शायद मेरा कट गया ।

खाये पत्थर गली में तेरी

सर मेरा यूँ नहीं फट गया ।

उनका कूचा यह तस्दीक़ है

मैं यहां यूँ नहीं डट गया ।

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 869

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 21, 2016 at 1:51pm

पाबन्दी तो आदरणीय तस्दीक भाईजी, यह भी नहीं है कि ग़ज़ल लिखी न जाये.

वस्तुतः ग़ज़ल आज लिखी ही जा रही है. लेकिन शब्द प्रयोग की परिपाटी भी कोई चीज़ हुआ करती है, जिसके अनुसार ग़ज़लें कही जाती हैं. इसी ’कहे जाने’ के कारण ग़ज़लों के मिसरों के विन्यास विशिष्ट हो जाया करते हैं. अन्यथा ग़ज़लों को लेकर इस महीनी को न जानने वाले भी ग़ज़लें बखूबी ’लिख’ रहे हैं और इसे बलात कविता के स्तर पर ला खड़ा कर रहे हैं. उनके हिसाब से ग़ज़ल है क्या ? एक तरह की कविताई ही तो ! और देखिये ऐसे ही लोगों ने ग़ज़लग़ोई का कबाड़ा कर रखा है. 

हर शब्द का अपना विन्यास तो होता ही है, उनके बरते जाने की परिपाटी भी हुआ करती है. मैंने इसी परिपाटी के आधार पर कुछ कहा है. यह अब अलग बात है, कि आपने हादसे का घट जाना प्रयोग कर लिया है. और उसके लिए अपने तर्क दे रहे हैं. फिर तो बात ही अलग है. 

सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 20, 2016 at 10:41pm

मोहतरम जनाब सौरभ साहिब ,  हादसा होना या हादसा घटना मेरी जानकारी के हिसाब से एक ही बात है ।  क़ाफ़िए के हिसाब से हादसा के साथ घट इस्तेमाल किया गया है , ऐसी कोई पाबंदी तो है नहीं, हादसा के साथ घट इस्तेमाल नहीं हो सकता। ------शुक्रिया    


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 19, 2016 at 9:11pm

आपकी समझाइश से क्या तात्पर्य है, आदरणीय ? मुझे अब क्या समझना चाहिए ? 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2016 at 9:04pm

मोहतरम जनाब सौरभ साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया। ...... आप सही फरमा रहे हैं , हादसा और होना उर्दू में है , दुर्घटना और घटना हिंदी  है ।  चूंकि क़ाफ़िया हिंदी का है इसलिए घट के साथ हादसा लिया है, कोई घटना , घटना या घटना का  होना का मतलब हादसा घटना या होना, । मक़ते में यह की ह  गिरी है  , टाइप में ये की जगह यह हो गया। ......... सादर      


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 19, 2016 at 8:23pm

जाऊं सदक़े सियासत तेरे

हर कोई क़ौम में बट गया ।

नाव भी डगमगाने लगी

हो रहा है गुमाँ तट गया ।

खाये पत्थर गली में तेरी

सर मेरा यूँ नहीं फट गया 

उपर्युक्त तीन शेर विशेष लगे आदरणीय. दादकुबूल फ़रमयें. 

मतले में ’हादसा’ का ’घट’ जाना तनिक असहज कर रहा है. कारण कि हादसे हो जाया करते हैं. दुर्घटनाएँ घट जाया करती हैं. इस विन्दु पर आप संतुष्ट हो लीजियेगा. फिर हम भी संतुष्ट होना चाहेंगे. 

फिर, उनका कूचा यह तस्दीक़ है .. यह को ये कर लेना उचित होगा. 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 16, 2016 at 8:31pm

 जनाब ब्रजेश कुमार  साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया    

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 16, 2016 at 8:30pm

मोहतरम जनाब सुशील सरना साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया    

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 15, 2016 at 10:52pm

वाह बहुत ही खूबसूरत

Comment by Sushil Sarna on June 15, 2016 at 8:44pm

यक बयक हादसा घट गया ।
राहे उल्फत से वह हट गया ।
ज़ुल्म में ही था शामिल करम
था गुमाँ मुझको वह पट गया ।

वाह बहुत ही गज़ब के अशआर कहे हैं आदरणीय आपने। .. दिल को छू गए .... इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 15, 2016 at 8:37pm

मोहतरम जनाब गोपाल नारायण  साहिब  ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service