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कौन आया ?/ कविता

मध्य निशा में मन अकुलाया
विरहन की पीड़ा विहलाया
छल यातना ओढ़ना बिछौना
अंतर वियोग में कौन आया ?

कच्चे धागे सा सुख सपना
निष्ठुरता से कैसी कामना
मेरा दिल मेरा खिलौना
झरते पत्ते -सा कौन आया ?

मृदु बादल की चाह नहीं
वृक्ष अशोक मेरी छाँह नहीं
तृष्णित सिंचित एकाकीपन
में चिता जलाने कौन आया ?

आज अकेला हर मानव है
जलता एकांत दानव है
नीम की मंजरित डाली में
प्रीत बाँधने कौन आया ?



मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on June 26, 2016 at 8:50pm

आदरणीया कांता जी , भाव पूर्ण गीत रचना के लिये बधाई । मारेआतें सभी पक्तियों मे एक सी नही लग रहीं है , देखियेगा ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 26, 2016 at 9:15am
भावपूर्ण रचना!सादर नमन वन्दनीया!
Comment by Harash Mahajan on June 26, 2016 at 12:12am

आ० काँता रॉय जी इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई !!

सादर !!

Comment by Shyam Narain Verma on June 25, 2016 at 12:53pm
इस भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई   सादर

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"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
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