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जला भी नहीं तो बुझा भी नहीं है ( फिल्बदीह ग़ज़ल 'राज ')

१२२  १२२  १२२  १२२ 

नया दर्द कोई जगा भी  नहीं है 
पुराना अभी तक गया भी नहीं

न करना अभी बंद अपनी ये पलकें 
समंदर अभी तक भरा भी नहीं है

मुसलसल धड़कता कहीं जिस्म में दिल 
किधर है कहाँ है पता भी नहीं है

 

इन आँखों का पानी है नमकीन कितना 
समंदर ने अबतक चखा भी नहीं है

बहा ले गई मौज साहिल से बेशक़ 
तेरा नाम दिल से मिटा भी नहीं है

 

सुना है लिखा उसने मुझको कोई खत 
मगर उसपे मेरा पता भी नहीं है

 

मुहब्बत का उसकी अजब ये शरारा 
जला भी नहीं तो बुझा भी नहीं है

 

किया इश्क़ जिससे वो पत्थर है शायद 
उसे फ़िक्र मेरी  जरा भी नहीं है

 

बहकती हवा को पकड़ना है मुश्किल 
पकड़ने की फिर अब रजा भी नहीं है

उसे पढना चाहूँ मैं अहमक हूँ कितनी 
जबीं पे मेरी जो लिखा भी नहीं है

कहाँ अपने ख़्वाबों की दुनिया बसाये 
नदी को किनारा मिला भी नहीं है

---------

 

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Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2016 at 3:36am

इस ग़ज़ल को पढ़ना अच्छा लगा आदरणीया राजेश कुमारीजी. शुभ-शुभ

Comment by रामबली गुप्ता on June 28, 2016 at 2:09pm
बहुत ही बेहतरीन गज़ल हुई है आद0 राजेश कुमारी जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2016 at 11:15am

आद० गिरिराज जी,आपका तहे दिल से शुक्रिया | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2016 at 10:44am

आदरणीया राजे श जी , फिल बदीह के लिहाज़ से बहुत अच्छी गज़ल कही आपने । आप चाहें तो कहन को और माँज सकती हैं बाद में । आपको हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2016 at 9:47am

आद० आशुतोष जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई  तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 27, 2016 at 10:28pm
आदरणीय इस रचना के लिए हार्दिक बद्धस्यरे स्वीकार करें सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 27, 2016 at 9:38pm

आद० सुशील सरना जी ,आपका तहे दिल से बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 27, 2016 at 9:37pm

आ० हर्ष महाजन जी ,ग़ज़ल पर शिरकत और सुखन नवाजी का तहे दिल से शुक्रिया इस होंस्लाफाई के लिए बहुत ममनून हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 27, 2016 at 9:34pm

प्रिय राहिला जी,आपका तहे दिल से शुक्रिया | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 27, 2016 at 9:33pm

आ० श्यामनारायण वर्मा जी ,आपका बहुत- बहुत शुक्रिया| 

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