For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जला भी नहीं तो बुझा भी नहीं है ( फिल्बदीह ग़ज़ल 'राज ')

१२२  १२२  १२२  १२२ 

नया दर्द कोई जगा भी  नहीं है 
पुराना अभी तक गया भी नहीं

न करना अभी बंद अपनी ये पलकें 
समंदर अभी तक भरा भी नहीं है

मुसलसल धड़कता कहीं जिस्म में दिल 
किधर है कहाँ है पता भी नहीं है

 

इन आँखों का पानी है नमकीन कितना 
समंदर ने अबतक चखा भी नहीं है

बहा ले गई मौज साहिल से बेशक़ 
तेरा नाम दिल से मिटा भी नहीं है

 

सुना है लिखा उसने मुझको कोई खत 
मगर उसपे मेरा पता भी नहीं है

 

मुहब्बत का उसकी अजब ये शरारा 
जला भी नहीं तो बुझा भी नहीं है

 

किया इश्क़ जिससे वो पत्थर है शायद 
उसे फ़िक्र मेरी  जरा भी नहीं है

 

बहकती हवा को पकड़ना है मुश्किल 
पकड़ने की फिर अब रजा भी नहीं है

उसे पढना चाहूँ मैं अहमक हूँ कितनी 
जबीं पे मेरी जो लिखा भी नहीं है

कहाँ अपने ख़्वाबों की दुनिया बसाये 
नदी को किनारा मिला भी नहीं है

---------

 

Views: 735

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2016 at 3:36am

इस ग़ज़ल को पढ़ना अच्छा लगा आदरणीया राजेश कुमारीजी. शुभ-शुभ

Comment by रामबली गुप्ता on June 28, 2016 at 2:09pm
बहुत ही बेहतरीन गज़ल हुई है आद0 राजेश कुमारी जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2016 at 11:15am

आद० गिरिराज जी,आपका तहे दिल से शुक्रिया | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2016 at 10:44am

आदरणीया राजे श जी , फिल बदीह के लिहाज़ से बहुत अच्छी गज़ल कही आपने । आप चाहें तो कहन को और माँज सकती हैं बाद में । आपको हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2016 at 9:47am

आद० आशुतोष जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई  तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 27, 2016 at 10:28pm
आदरणीय इस रचना के लिए हार्दिक बद्धस्यरे स्वीकार करें सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 27, 2016 at 9:38pm

आद० सुशील सरना जी ,आपका तहे दिल से बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 27, 2016 at 9:37pm

आ० हर्ष महाजन जी ,ग़ज़ल पर शिरकत और सुखन नवाजी का तहे दिल से शुक्रिया इस होंस्लाफाई के लिए बहुत ममनून हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 27, 2016 at 9:34pm

प्रिय राहिला जी,आपका तहे दिल से शुक्रिया | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 27, 2016 at 9:33pm

आ० श्यामनारायण वर्मा जी ,आपका बहुत- बहुत शुक्रिया| 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
2 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
2 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service