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पुत्र प्राप्ति मन्त्र (लघु कथा 'राज ')

 “अरे..अरे रे रे ....  ये क्या कर रहे हो दिमाग तो खराब नहीं हो गया आप लोगों का... किराए दार  होकर बिना बताये मेरे ही घर में ये तोड़ फोड़ क्यूँ?” घर के मुख्य द्वार जिसपर उसके स्वर्गीय पति का नाम लिखा था मजदूरों द्वारा हथौड़े से तोड़ते हुए देखकर आपा खो बैठी सावित्री|

“अरे कोई कुछ बोलता क्यूँ नहीं बंद करो ये सब वरना अभी पुलिस को बुलाती हूँ”

“हाँ बुला लीजिये आंटी जी ताकि आज आपको भी पता लगे किरायेदार कौन है वो तो मेरे सास ससुर ने अब तक मेरा व् मेरे पति का मुँह बंद कर रखा था आज कल वो बाहर गए हैं तो हमे ये मौका मिला है घर को ठीक करवाने का|

और वो जो आपका प्यारा बेटा विदेश में बैठा हुआ है न तीन चार महीने से उसने इस  कमरे का किराया भी नहीं दिया जिसमे आप रह रही हैं|

 मेरे ससुर को आपके बेटे ने ये घर इस शर्त पर बेचा था कि एक कमरे में आप किराए पर रहेगीं किन्तु  आपसे ये बात गुप्त रखनी है जब तक आप जियेंगी क्यूंकि आपकी जिद थी कि आप कहीं नहीं जायेंगी आपकी अर्थी अपने इस घर से ही उठेगी|

भले ही मेरे ससुर आपके पति के दोस्त हैं किन्तु आप ही बताइये हम ये नुक्सान कब तक झेलें आंटी जी?” चारु बोली |

“हमे लगता था आप विश्वास नहीं करेंगी ये देखिये इस घर की रजिस्ट्री के कागज़” चारू का पति राहुल घर के कागज़ सावित्री के हाथों में देते हुए बोला |

एक सरसरी नज़र कागजों पर डालती हुई सावित्री विक्षिप्त सी हाथ जोड़कर आँखें बंद कर बार-बार ये मन्त्र दोहराती हुई भारी कदमो से कमरे की और बढ़ने लगी -

“प्रेम मगन कौसल्या निसि दिन जात न जान

सुत सनेह बस माता बाल चरित कर जान”

तभी राहुल ने प्रश्न भरी निगाहों से चारु की और देखते हुए इशारे में पूछा

“ये क्या बोल रही है आंटी ?” 

“पुत्रप्राप्ति के मन्त्र का जाप है ये तो राहुल मुझे भी पंडित जी ने एक दिन बताया था”  

.

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 3, 2016 at 9:52pm

प्रिय राहिला जी ,माँ तो माँ होती है ये बात सच है बददुआए भी  देती है तो अपनी ही कोख को कोसती है इसमें जो वो मन्त्र पढ़ रही है वो उसके आक्रोश की ही बानगी है कि क्यूँ वो मन्त्र पढके ऐसे कपूत को जन्म दिया |

बहुत बहुत शुक्रिया आपका | 

Comment by Rahila on July 2, 2016 at 8:04pm
वाह आदरणीया दीदी!क्या खूब माँ की ममता को प्रस्तुत किया जो एक कपूत के लिये भी कम ना हुयी।बहुत बधाई इस रचना के लिये।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2016 at 4:46pm

आद० नीता जी,आपको लघु कथा बहुत अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ | इंसान ख़ुशी में भी भगवान को याद करता है परेशानी में भी  जब कोई किसी के द्वारा किया गया छल मन को उद्वेलित कर दे संज्ञा शून्य कर दे वो इंसान उस घड़ी को कोसता है कि जब वो इंसान उसकी जिन्दगी में आया था यहाँ तो एक माँ पुत्र द्वारा छली गई है तो वो अपनी कोख को इस तरह से कोस रही है उसी मन्त्र को बोल रही है जिसके द्वारा ऐसा कुपूत जन्मा था |  बहुत बहुत शुक्रिया आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2016 at 4:41pm

आद० तेजवीर सिंह जी ,आपका दिल से बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2016 at 4:41pm

प्रिय प्रतिभा जी ,लघु कथा के मर्म की गहराइयों को छूकर दी गई आपकी प्रतिक्रिया के लिए शुक्रगुजार हूँ जब कोई किसी के द्वारा किया गया छल मन को उद्वेलित कर दे संज्ञा शून्य कर दे वो इंसान उस घड़ी को कोसता है कि जब वो इंसान उसकी जिन्दगी में आया था यहाँ तो एक माँ पुत्र द्वारा छली गई है तो वो अपनी कोख को इस तरह से कोस रही है उसी मन्त्र को बोल रही है जिसके द्वारा ऐसा कुपूत जन्मा था | बहुत  बहुत  आभार 

Comment by Nita Kasar on July 2, 2016 at 3:04pm
माँ तो माँ होती है,इतना बडा छलावा किया पुत्र ने,माँ को अंधेरे में रख कर। हकीकत सामने आने के बाद भी माँ पुत्र प्राप्ति मंत्र जाप कर रही है ।बधाई आपको कथा के लिये आद०राजेश कुमारी जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on July 1, 2016 at 7:43pm

 हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी!बहुत शानदार प्रस्तुति!

Comment by pratibha pande on July 1, 2016 at 7:27pm

 अंत में  माँ के मुख से जो आपने पुत्र प्राप्ति मन्त्र पढवाया है, पूरी रचना को  बहुत ऊंचाई दे गया है वो  और पंच लाइन 

//ये तो राहुल मुझे भी पंडित जी ने एक दिन बताया था”//   कितने सारे अर्थ समेटे है अपने आप में .  बहुत शानदार लघु कथा है ये , हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीया राजेश कुमारी जी 

.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 1, 2016 at 4:43pm

आद० सुशील सरना जी ,लघु कथा के प्रथम पाठक एवं  मर्म  का अनुमोदन करने के लिए आपका हार्दिक आभार |

Comment by Sushil Sarna on July 1, 2016 at 3:08pm

अादरणीया राजेश कुमारी जी मार्मिक लघु कथा की प्रस्तुति की लिए हार्दिक बधाई। 

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