For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज का सूरज नया तू सींच ले (नवगीत 'राज ')

मुक्त कर तम से जकड़ती मुट्ठियाँ

भोर की पहली किरण को भींच ले

व्योम से तुझको पटक कर 

पस्त करके होंसलो को

चिन रही है गेह तुझमे

भावनाएँ हीन गुपचुप

मार सूखे का हथौड़ा

तोड़ कर तेरी तिजौरी

बाँध खुशियों की गठरिया

जा रहा है मेघ छुप छुप  

भेद बादल की गगरिया

अपने हिस्से की ख़ुशी तू खींच ले

भान तुझको ही नहीं है

छटपटाहट की जमीं के  

 गर्भ में आकार लेती   

 तल्खियों की बेल शापित

जो सुखाती जा रही है  

ख्वाहिशों की क्यारियों को  

खुद तुझे करना पड़ेगा

हिम्मतों का बीज रोपित

भाग्य का पौधा उगाने

आज का सूरज नया तू सींच ले  

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 762

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 23, 2016 at 11:57am

प्रिय प्रतिभा जी ,आपको ये नवगीत पसंद आया मेरा प्रयास सफल हुआ दिल से आभारी हूँ .

Comment by pratibha pande on June 23, 2016 at 10:47am

रचना के तेवर शब्द चयन और प्रवाह मुग्ध कर रहे हैं   तहे दिल से बधाई प्रेषित है आपको आदरणीया राजेश कुमारी जी ,     


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 22, 2016 at 9:50pm

आद० सौरभ जी,इस नवगीत पर आपकी समीक्षा पाकर उत्साहित हूँ आपका दिल से बहुत बहुत आभार |लिखते वक़्त शापित और रोपित को लेकर मैं भी असमंजस  में थी किन्तु कोई भी उपयुक्त शब्द नहीं मिल पाया कोई और शब्द ले रही थी तो भाव के साथ छेड़ हो रही थी सो ऐसे ही रहने दिया |आपको पता है नवगीत मैंने बहुत कम लिखे हैं ये समझो नवगीत के मामले में प्राइमरी की छात्रा हूँ धीरे धीरे साधने का प्रयास करुँगी  सादर . 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 22, 2016 at 9:45pm

आद० गिरिराज जी,प्रस्तुति के मर्म से उपजे हुए अपने विचार रखकर अनुमोदित करने के लिए दिल की गहराई  से  बहुत- बहुत शुक्रिया |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 22, 2016 at 5:29pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, 

नवगीत के तथ्य से जो कुछ प्राप्त हो रहा है वह वस्तुतः मुग्धकारी है. आपने जिस सकारात्मकता के साथ गीति-तत्त्व को साधा है और प्रस्तुत किया है वह प्रभावी है.

यह अवश्य है कि कथ्य की शैली को लेकर थोड़ी चर्चा हो सकती है. नवगीत विधा शब्द-चयन को लेकर तत्सम की आग्रही नहीं होती. दूसरे, ’शापित’ और ’रोपित’ की तुकान्तता एक ग़ज़लकार से क्षम्य है क्या ? .. ;-))

हार्दिक शुभकामनाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 22, 2016 at 9:59am

आदरणीया राजेश जी , नित बिगड़ते जा  रहे पर्यावरण के कारण उपजी  विभीषिका के प्रति न केवल सचेत कर रही है आपकी रचना वरन हिम्मत भी बंधा रही है। बहुत बढिया , बहुत बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2016 at 10:10am

आ० डॉ० आशुतोष जी ,नवगीत पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिया तोषकारी है मेरा लेखन कर्म सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार आपका . 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 21, 2016 at 8:01am
आदरणीया राज जी लखनऊ में मूसलाधार बारिश हो रही है सूखे कीभीषण यताबही के बाद ऐसा मंजर देखने केबाद आपके इस शानदार गीत को पदकरगुंगुणाने में बड़ा लुत्फ़ आ रहा है इस ऊर्जा से भरते आपकर इस शानदार गीत के लिए हार्दिक बधायी स्वीकार करें सादर प्रणाम के साथ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 20, 2016 at 7:13pm

आपको ये नवगीत पसंद आया आ० श्याम नारायण जी आपका बहुत- बहुत आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 20, 2016 at 7:10pm

आ० तेजवीर सिंह जी ,आपकी प्रतिक्रिया से हर्षित हूँ मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार आपका .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service