For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन

212 1222  212 1222 

जिन्दगी में कुछ लम्हे बेमिसाल तो आये

ख्वाब में खयालों में कुछ सवाल तो आये

बेखुदी में हैं अब भी, काश होश आ  जाता    

माँ को अपने बच्चे का कुछ खयाल तो आये

 

रूप में उधर चांदी , इश्क में इधर सोना

रोशनी बहुत होगी कुछ उछाल  तो आये

 

फूल खूबसूरत है,  है नहीं मगर खुशबू

हुस्न तो नुमायाँ है  बोल-चाल तो  आये

 

यूँ तो खून बहता है आदमी की धमनी में

किन्तु ये भी है लाजिम कुछ उबाल तो आये

 

मानता हूँ है बाकी  देश मे  हुनर काफी

किन्तु कोई जादू हो कुछ कमाल तो आये

आज भी भटकती है  वन करील में राधा

भूलकर कभी  ब्रज में  नंदलाल तो आये

(मौलिक व् अप्रकाशित )

 

 

Views: 702

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on July 2, 2016 at 10:52pm
आदरणीय गोपाल जी, मुझे लगा कि लम्हे होने से क्रिया में 'आये' के बदले शायद 'आयें' जरूरी हो जायेगा,इसलिये कहा था।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2016 at 8:35pm

आ० मनन जी , लम्हे ही उचित  है .कुछ लम्हा गलत होगा . सादर आभार .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2016 at 8:33pm

आ० अनुज भंडारी जी , आपके समर्थन से लगता है कुछ सुधार हो रहा है . आपसे हौसला और मार्गदर्शन अपेक्षित  है. सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2016 at 8:31pm

आ० कल्पना भट्ट जी --भारतीय महाकाव्यों की दो दुखियारी महिलाये  सीता और राधा  सदियों से  भारतीय नारियो के विराट  व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करती  आ रही हैं . मैं  कभी कभी उन्हें स्मरण अवश्य करता हूँ . सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2016 at 8:25pm

 आ० सुशील सरना जी , आप जैसे सवेदनशील व्यक्तित्व से समर्थन  पाकर  संतोष मिलता है . सादर . .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2016 at 8:22pm

राज बुन्देली जी ---- ओ बी ओ के मंच पर गजल कहना सीखा और कोशिश जारी है . सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2016 at 8:21pm

आ० नीलेश जी - आपके समर्थन से  बड़ी आश्वस्ति  मिली . आपके मार्ग दर्शन की सदैव प्रतीक्षा रहती है .

Comment by Manan Kumar singh on July 2, 2016 at 7:58pm
आदरणीय गिरिराज भाई, शायद लम्हे को लम्हा करना भी लाजिमी हो।आदरणीय गोपाल भाई को अच्छी गजल के लिए दिली बधाई!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 2, 2016 at 8:43am

आदरणीय बड़े भाई , बहुत खूब , अच्छी ग़ज़ल कही आपने , दिली मुबारकबाद आपको ।

मतले के -- ख्वाब में खयालों   को  ख्वाबों में खयालों - किया जा सकता है   दोनो बहु वचन सही लगेगा , बों की मात्रा भी गिराई जा सकती है ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 1, 2016 at 8:44pm

वाह वाह बहुत खूब आदरणीय |

यूँ तो खून बहता है आदमी की धमनी में

किन्तु ये भी है लाजिम कुछ उबाल तो आये

 

मानता हूँ है बाकी  देश मे  हुनर काफी

किन्तु कोई जादू हो कुछ कमाल तो आये

आज भी भटकती है  वन करील में राधा

भूलकर कभी  ब्रज में  नंदलाल तो आये   बहुत बढ़िया | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। आ. भाई तिलकराज जी की बात से सहमत…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। सजल का प्रयास अच्छा हुआ है। कुछ अच्छे शेर हुए हैं पर कुछ अभी समय चाहते…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई गजेन्द्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई तिलकराज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, प्रशंसा, मार्गदर्शन और स्नेह के लिए हार्दिक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, गजल का सुंदर प्रयास हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी सादर अभिवादन। एक जटिल बह्र में खूबसूरत गजल कही है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे शेर हुए। मतले के शेर पर एक बार और ध्यान देने की आवश्यकता है।"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेन्द्र जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका  ग़ज़ल को निखारने का पुनः प्रयास करती…"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका, बेहतरी का प्रयास ज़रूर करूँगी  सादर "
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"ग़़ज़ल लिखूँगा कहानी मगर धीरे धीरेसमझ में ये आया हुनर धीरे धीरे—कहानी नहीं मैं हकीकत…"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नहीं ऐसी बातें कही जाती इकदम     अहद से तू अपने मुकर धीरे-धीरे  जैसा कि प्रथम…"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"मुझसे टाईप करने में ग़लती हो गयी थी, दो बार तुझे आ गया था। तुझे ले न जाये उधर तेज़ धाराजिधर उठ रहे…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service