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आदरणीय कवि राज बुन्देली जी सादर, दोनों ही छंद सदैव की भाँति बहुत सुंदर रचे हैं. बहुत -बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.
आदरणीय राज भाई ,
द्वितीय छंद बहुत खूबसूरत और बार बार पढ़ने में विशेष आनंद है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें
प्रथम छंद के सभी दो चरणों में तुकांतता न होने से प्रवाह बाधित सा लगता है इसलिए अंतिम सभी तृतीय और चतुर्थ चरणों का मजा भी कुछ कम हो जाता है।
सादर
आदरणीय राज भाई , दोनो छंदों के भाव बहुत अच्छे लगे , हार्दिक बधाइयाँ । शिल्प का ज्ञान नही है , विद्व जन ही कुछ सार्थक कह पायेंगे ।
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