2222 2222 2222 222
पीछे मुड़कर जब भी देखा मौन खड़ा साकार मिला ।।
इसकी आँहें उसके आँसू बिखरा बिखरा प्यार मिला ।।(1)
मतलब की इस दुनियाँ में सब यार मिले हैं मतलब के,
मतलब से है मतलब सबको मतलब का मनुहार मिला ।।(2)
झूम रहीं नफ़रत की फसलें बीज सभी ने बोये हैं,
अपनों के सीनों पर चलता अपनों का हथियार मिला ।।(3)
खून खराबा देख रहा वह अपनी अनुपम दुनियाँ में,
सबकी किस्मत लिखने वाला आज स्वयं लाचार मिला ।।(4)
अज़ब निराले खेल यहाँ के उल्टी गंगा बह निकली,
बच्चों की रखवाली करता डायन का परिवार मिला ।।(5)
आँख मिलाकर बातें करता आँख बचाकर काम करे,
घर में चोरी करता देखो घर का चौकीदार मिला ।।(6)
बदल बदलकर टोपी नेता मुल्क़ हमारा लूट रहे,
कुर्सी की जड़ से चिपका अब तो भ्रष्टाचार मिला ।।(7)
मज़दूरों को सूखी रोटी मिलती आधा पेट यहाँ,
इनके तहखानों के भीतर दौलत का भंडार मिला ।।(8)
सड़क किनारे सिसक रहा था वह कचरे के आँगन में,
पूछ रहा था रब से मुझको यह कैसा घर द्वार मिला ।।(9)
गीली आँखें भीगा बिस्तर टूटी चूड़ी कहती है,
निर्धन की बेटी को केवल सिसकी का संसार मिला ।।(10)
डिग्री लेकर भटक रहा है दफ्तर दफ्तर पढा लिखा,
हर दफ्तर पर देखा उसनें गाँधी को सत्कार मिला ।।(11)
बाँट चुके हैं घर दौलत सब भाई मिलकर आपस में,
माँ वालिद को वृद्धाश्रम का अंत समय आधार मिला ।।(12)
खुशियों नें मुँह फेर लिया पर ग़म नें साथ नहीं छोड़ा,
इस जीवन में मित्र अकेला ग़म ही तो दिलदार मिला ।।(13)
इस रंग - बिरंगी दुनियाँ के रंग - बिरंगे सपनें हैं,
एक सरीखा लक्ष्य मगर है अलग अलग किरदार मिला ।।(14)
रोटी पर अधिकार नहीं है साँसों पर भी पाबंदी,
आज सबेरे उठते उठते खून सना अखबार मिला ।।(15)
गर्म हवायें लाईं हैं कुछ पश्चिम से इस पूरब में,
इज़्ज़त की नीलामी करता यौवन का बाज़ार मिला ।।(16)
नज़र गड़ाये बैठे थे हम बाहर के किरदारों पर,
घर को आग लगाने वाला घर में ही गद्दार मिला ।।(17)
कौन सुनेगा बात तुम्हारी गूँगी बहरी बस्ती में,
सच कहनें वालों को अक्सर फाँसी का गलहार मिला ।।(18)
कपट कुहासा कहता है अब मेरी सरकार बनेगी,
सूरज को धमकाता जुगनू एक नहीं सौ बार मिला ।।(19)
भूल गया वह कल की उस धुँधली सी परछाईं को,
भोर सुनहरी "राज़" लिखेगा लिखनें का अधिकार मिला ।।(20)
डॉ राज बुंदेली
15/07/2016
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
वाह ! वाह ! बहुत खूब आदरणीय कवि राज बुन्देली साहब क्या खूब गजल कही है.बहुत मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं. सादर.
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