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आदरणीय,,,गिरिराज भंडारी जी नमन
आदरणीय शिज्जू शकूर जी शुक्रिया
आदरणीय महेन्द्र कुमार जी आभार
आदरणीय,,,, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी इस स्नेह हेतु नमन स्वीकार कीजिये
वाह बहुत उम्दा राज साहिब आपको बधाई . सादर .
आदरणीय राज बुन्देली भाई , बढिया गज़ल कही है , सभी अशआर बेहतरीन हुये हैं , दिली मुबारक बाद कुबूल करें।
आदरणीय,,,सुशील सारना जी,,,,नमन,,,इस स्नेह हेतु
तुम्हारा अश्क़ गंगा है हमारा अश्क़ पानी है ।।
तुम्हारा इश्क़ लैला है हमारा क्यूँ कहानी है ।।(1)
छुपाकर अब तलक़ रक्खा गुलाबी गुल किताबों में,
हमारे प्यार की आखिर वही तो इक निसानी है ।।(2)
वाह अादरणीय बुंदेली जी वाह .... क्या ग़ज़ब के अशअार लिखे हैं अपने .... इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सर।
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