For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल मनोज अहसास(इस्लाह के लिए)

221 2121 1221 212

हिम्मत को तोड़ देगा दुःखो का बखान भी
गर रास्ता है बंद,दबा ले जबान भी

हाथों से खोदकर ज़मीं पानी तलाश कर
दुश्मन जो तेरा हो गया हो आसमान भी

मैं दर ब दर हुआ था तेरी रुखसती के बाद
आहों में मेरी जल गया तेरा जहान भी

अपनी ही शक्ल देखी जो मुल्जिम बनी हुई
मेरे खिलाफ हो गया मेरा बयान भी
(मुझसे बयां न हो सका मेरा बयान भी)

झगड़ो पे मिली जिनसे नसीहत हमें सदा
अपनी वजह से चलती है उनकी दुकान भी

बेचारगी के शौक ने शाइर बना दिया
अम्बर पे बैठा सकता था ग़म का उफान भी

चोरी से अच्छी भीख है बस इतना सोचकर
मज़बूत ज़िस्म वाले को दे दीजिये दान भी

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 757

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on July 18, 2016 at 9:54pm
आदरणीय शुक्ला जी
आदरणीय रक्ताले जी
आदरनीय गिरिराज सर

बहुत बहुत आभार
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 18, 2016 at 8:57pm

आदरणीय मनोज भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , मुबारकबाद स्वीकार करें ।

मतले में ऐबे तनाफुर है --  बंद,दबा  , देख लीजियेगा , और  अंतिम शे र का सानी , बेबह्र लगरहा है , तक्तीअ कर के देख लीजियेगा ।

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 18, 2016 at 6:41pm

वाह ! खुबसूरत अशआर हुए हैं. आदरणीय समर साहब कि इस्लाह से और भी निखार आयेगा. सादर.

Comment by Ravi Shukla on July 18, 2016 at 11:06am

आदरणीय मनोज जी बढि़या गजल कही है आपने आदरणीय समर साहब की इसलाह से और भी निखर गये मिसरे दाद हाजिर है ।

Comment by मनोज अहसास on July 17, 2016 at 3:30am
बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब
सभी सुझाव बहुत बढ़िया है बिलकुल सुधर लिया जायेगा
सादर आभार
Comment by Samar kabeer on July 16, 2016 at 10:12pm
जनाब मनोज कुमार 'अहसास'साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
कुछ सुझाव हैं अगर आपको पसन्द आजायें,
चौथे शैर का सानी मिसरा :-
"अपने ख़िलाफ़ हो गया मेरा बयान भी"
मतले में ऐब-ए-तनाफुर का दोष देखें
"झगड़ों पे जिनसे हमको नसीहत मिली सदा"
आख़री शैर के सानी मिसरे में 'देदीजिये'को "दे दीजे" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
45 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
21 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service