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२२१  २१२१ १२२१ २१२

 

जब छीनने छुडाने के साधन नए मिले

हर मोड़ पर कई-कई सज्जन नए मिले

 

कुछ दूर तक गई भी न थी राह मुड़ गई

जिस राह पर फूलों भरे गुलशन नए मिले

 

काँटों से खेलता रहा कैसा जुनून था

उफ़! दोस्तों की शक्ल में दुश्मन नए मिले

 

जितने भी काटता गया जीवन के फंद वो  

उतने ही जिंदगी उसे बंधन नए मिले

 

अपनों से दूर कर न दे उनका मिज़ाज भी  

गलियों से अब जो गाँव की आँगन नए मिले

 

 

मौलिक/अप्रकाशित.

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on July 21, 2016 at 1:31pm

उत्साहवर्धन के लिए दिल से आभार आदरणीय राम शर्मा जी. सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 21, 2016 at 12:29pm

उत्साहवर्धन के लिए दिल से आभार आदरणीय डॉ. विजय शंकर साहब. सादर.

Comment by Ram Sharma on July 21, 2016 at 12:05pm
बहुत ही बढ़िया... बधाई कबूल फरमाएं
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 21, 2016 at 10:16am
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल , बधाई , आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी , सादर।
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 20, 2016 at 10:28pm

सादर आभार आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी.

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on July 20, 2016 at 4:58pm
बहुत उम्दा ग़ज़ल आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी।सादर नमन
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 20, 2016 at 1:35pm

आदरणीय डॉक्टर साहब सादर आपसे गजल पर तारीफ़ पाना हौसला दे रहा है. बहुत-बहुत आभार आदरणीय डॉ. सुर्याबाली 'सूरज' साहब. सादर.

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 20, 2016 at 10:57am

अशोक भाई बेहतरीन कलाम से नवाजा है मंच को आपने 

खास कर ये शेर तो ग़ज़ब का हुआ है 

काँटों से खेलता रहा कैसा जुनून था

उफ़! दोस्तों की शक्ल में दुश्मन नए मिले

दाद कुबूल करें 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2016 at 11:14pm

आदरणीय अशोक भाईजी, मुझ नाचीज़ को अपनी औकात में ही रहने दें. 

हम आपस में मिलजुल कर तिल-तिल लगातार अध्ययन करते जा रहे हैं ! यही अपना संबल है. बाकी की क्या बातें करनी ? 

आपको भी आदरणीय, गुरु पूर्णिमा की सादर शुभकामनाएँ

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 19, 2016 at 11:06pm

सर्वप्रथम गुरु पूर्णिमा पर गुरुवर को सादर प्रणाम. प्रस्तुत गजल को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी.सतत प्रयास से अब आपकी , आदरणीय समर कबीर साहब की प्रतिक्रियाओं से कुछ आस बँधी है. सादर.

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