For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - आप सोये, तो जहाँ सोने लगा ( गिरिराज भंडारी )

2122   2122   212 

जानवर भी देख कर रोने लगा

न्याय अब काला हिरण होने लगा

 

आइने की तर्ज़ुमानी यूँ हुई   

आइने का अर्थ ही खोने लगा

 

हंस सोचे अब अलग किसको करूँ  

दूध जब पानी नुमा होने लगा

 

ऐ ख़ुदा ! कैसा दिया तू आसमाँ

था यक़ीं जिस पर, क़हत बोने लगा

 

बदलियों ! कुछ तो रहम दिल में रखो 

चाँद अब तो साँवला होने लगा

 

आग से बुझती कहाँ है आग , फिर

जब्र से क्यूँ ज़ब्र वो धोने लगा ।

 

कल बने आतिश फ़िशाँ शायद , यही

सोच मैं चिनगारियाँ बोने लगा

 

जो खड़ा था सच का परचम थाम के

बातिलों की भीड़ भी ढोने लगा

 

आपसे बेदारियाँ भी, नींदें भी

आप सोये, तो जहाँ सोने लगा

******************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 971

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2016 at 6:34pm

// ऐसी ही बारीकियों के लिये आप गुणी जनो की कमी महसूस होते रहती है । //

सादर आग्रह है, इस तरह की कोई कैटेगरी मन में न पालें, न बनने दें, आदरणीय. हम सभी एक दूसरे से ही सीख रहे हैं. सो, विन्दु-विशेष पर कोई गुणीजन है, तो किसी दूसरे विन्दु पर वही सीखता हुआ अभ्यासी. बाकी और क्या कहूँ ? 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 2, 2016 at 6:30pm

आदरणीय सौरभ भाई , गज़ल आपको प्रभावित कर पाई  जान कर बेहद खुशी हुई , संतुष्टी हुई ! सराहना के लिये आपका आभार ।

आपकी दोनो सलाह उचित है , मै परिवर्तन कर लूँगा । ऐसी ही बारीकियों के लिये आप गुणी जनो की कमी महसूस होते रहती है । आपका बहुत आभार गज़ल पर उपस्थिति के लिये ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2016 at 6:05pm

क्या बात है ! ग़ज़ल ने खूब प्रभावित किया है, आदरणीय गिरिराज भाई जी..  हार्दिक शुभकामनाएँ. 

बदलियों नहीं बदलियो कहना उचित होगा. यह सम्बोधन का परिचायक है, न कि बहुवचन का.

दूसरे, हंस सोचे अब अलग किसको करूँ   को हंस अब सोचे अलग किसको करूँ  कर लीजिये न. भाव स्पष्टता के साथ-साथ वाचन-प्रवाह भी संयत हो जायेगा. ऐसा मुझे लगता है. 

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 2, 2016 at 1:08pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , गज़ल की सराहना कर उत्साहवर्धन करने के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 2, 2016 at 12:06pm

आ० भाई गिरिराज जी बहुत सूंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकारें .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 2, 2016 at 10:24am

आदरणीय विजय शंकर भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 2, 2016 at 10:10am
अति सुन्दर , आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , बधाई , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 1, 2016 at 5:47pm

आदरणीय सुरेश भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका ह्र्दय्स ए आभारी हूँ ।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 1, 2016 at 5:35pm
आदरणीय श्री गिरि राज भंडारी जी हृदय गदगद हो गया आपकी यह रचना पढकर।बहुत ही सुन्दर रचना। बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 1, 2016 at 5:26pm

आदरणीय श्याम भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service