For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सृष्टि का सबसे मधुर फिर गीत हम गाते सनम-----ग़ज़ल, पंकज मिश्र

2122 2122 2122 212

काश तेरे नैन मेरी रूह पढ़ पाते सनम।
दर ब दर भटकाव से ठहराव पा जाते सनम।।

इक दफ़ा बस इक दफ़ा तुम मेरे मन में झाँकते।
देखकर मूरत स्वयं की मन्द मुस्काते सनम।।

धड़कनों के साथ अपनी धड़कनें गर जोड़ते।
इश्क़ का अमृत झमाझम तुमपे बरसाते सनम।।

हाथ मेरे थाम कर चुपचाप चलते दो कदम।
प्रीत का जिंदा नगर हम तुमको दिखलाते सनम।।

खुद से अब तक मिल न पाए हो तो बतलाऊँ तुम्हें।
लोग कहते शेर मेरे तुझसे मिलवाते सनम।।

चाँदनी शब में नदी तट पर जो मिलने आओ तो।
ताज़ का दीदार जल में तुमको करवाते सनम।।

तुम अगर मेरे अधर सज जाती बंशी सी प्रिये।
सृष्टि का सबसे मधुर फिर गीत हम गाते सनम।।


मौलिक अप्रकाशित

Views: 951

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 19, 2016 at 2:08pm
आदरणीय सुरेश जी सादर धन्यवाद और हार्दिक अभिवादन
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 19, 2016 at 2:03pm
आदरणीय श्री पंकज कुमार मिश्रा जी सुन्दर गजल रचना के लिए हार्दिक बधाई ।
Comment by Samar kabeer on September 19, 2016 at 10:34am
अज़ीज़म,अब ये अशआर ठीक हैं,बधाई ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 19, 2016 at 9:22am
आदरणीय राम आसरे जी धन्यवाद
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 19, 2016 at 9:21am
जयनीत भाई को थैंक्स
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 19, 2016 at 9:21am
आदरणीय बृजेश जी बहुत बहुत आभार और हार्दिक अभिवादन
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 19, 2016 at 9:20am
आदरणीय श्याम नारायण जी सादर अभिवादन और आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 19, 2016 at 9:19am
आदरणीय बाऊजी तीसरा शेर, निम्नवत संशोधित--

धड़कनों से मेरी अपनी धड़कनें गर जोड़ते
इश्क़ का अमृत झमाझम तुमपे बरसाते सनम।।

5वें शेर का संशोधित-
खुद से अब तक मिल न पाये हो तो बतलाऊँ तुम्हें।
लोग कहते शेर मेरे तुमसे, मिलवाते सनम।।
Comment by Samar kabeer on September 18, 2016 at 3:24pm
अज़ीज़म पंकज कुमार आदाब,ग़ज़ल अच्छी हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
तीसरे शैर में भाव स्पष्ट नहीं,अमृत कौन बरसते ?

पांचवें शैर में शुत्रगुरबा का दोष आ गया है,ऊला में तुम्हें और सानी में तुझे,देखियेग ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on September 17, 2016 at 8:49pm
अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय पंकज जी। हार्दिक बधाई आपको।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service