For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूचना तंत्र(लघुकथा)राहिला

अपनी बीमार छोटी सी बेटी को दवा खिलाकर ,वो दो घंटे पहले ही विद्यालय पहुँच गयी।क्योंकि आज उसके विद्यालय में हाईस्कूल का शुभारंभ होना था।परन्तु सारा समय उसका मन अपनी नन्ही बेटी में ही उलझा रहा।रह ,रह कर उसकी आँखों में अपनी रोती बच्ची की सूरत झूल जाती।आख़िर विद्यालय समय से एक घंटे पूर्व वो संस्था प्रमुख से मौखिक अनुमति ले कर घर लौट आयी।
अभी घर में कदम रखा ही था कि मोबाइल की घंटी खनखना उठी।
"हैलो कौन?"
"हाँ हैलो,रमा!मैं किरण,तुम कहाँ हो?एक स्थानीय नेता जी की श्रीमती का फोन था।जो स्वयं भी अध्यापिका थीं।
"अरे आप!दरअसल आज बिटिया की तबियत ज्यादा खराब थी । इसलिये विद्यालय से जरा जल्दी लौट आयी हूँ।"
"तभी मुझे जो खबर मिली वो सही है।क्या तुम्हें नहीं पता था कि अपने क्षेत्र में निरीक्षण दल पहुँच गया है?"
"नहीँ..!लेकिन मैं तो नियमित जाती हूँ बस आज ही..।"उसकी बात बीच में काटकर वो फिर बोलीं।
"नहीं पता?तो जरा अपना सूचना तंत्र मजबूत करो। अब कौन मानेगा तेरी ये बातें ?वो तो यथास्थिति देख कर निर्णय लेते हैं।और तुझे ये जान कर दुःख होगा।कि तुझे मौके पर ना पाकर ,वो लोग तेरे खिलाफ कार्यवाही कर गये हैं।"
"ओह नहीं..!लेकिन आप कहाँ हो ?"विद्यालय ना जाने के लिए मशहूर होने के कारण उसके मुँह से अनायास ये प्रश्न छूट गया।
"अरे मैं!,सूचना मिलते ही बस अभी थोड़ी देर पहले ही विद्यायल पहुचीं हूँ।वो पिछले पंद्रह दिनों के हस्ताक्षर भी तो पड़े थे।"
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 851

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harikishan ojha on September 24, 2016 at 12:16pm

वाह! बहुत जोरदार तमाचा मारा है निकम्मो के गाल पर, बहुत सुन्दर बधाई होI

Comment by Nita Kasar on September 23, 2016 at 9:21pm
जिन अधिकारियों पर ऊपरी वरदहस्त होता है वे अपने अधिकारों का दुरूपयोग करते है और साथियों को विपरीत परिस्थिति में डाल देते है,पर काश वे पीड़ा का अंदाज़ा लगा पातेपरंतु ये भले लोग नही होते स्कूल,दफ़्तरों में अपने साथियों से सामना करते लोगों की व्यथा की प्रस्तुति है आपकी कथा बधाई आद०राहिला जी ।
Comment by Rahila on September 23, 2016 at 11:37am
बहुत शुक्रिया आदरणीय उस्मानी जी!ये कटाक्ष उन अधिकारियों पर भी है जो अपने आगे किसी की नहीं सुनते।और अपने मद के चलते कर्मठ कर्मचारी का भी अहित करने से नही चूकते ।जहाँ तक "वो" को वह करने की बात आपने की उसके लिए बहुत आभार ,जानते हुए ये चूक मुझसे हो गयी ।समय मिलते सुधार करती हूँ।आपकी टिप्पणी सदैव कुछ नया सिखा जाती है।सादर।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 23, 2016 at 1:13am
बहुत बढ़िया समसामयिक परिदृश्य चित्रित करती कटाक्ष पूर्ण रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आपको आदरणीया राहिला जी। संस्था प्रमुख से मौखिक अनुमति ले चुकने के बाद भी शिक्षिका के विरुद्ध कार्रवाई की सूचना साजिश का भी संकेत करती है। या फिर राजनीति। संस्था प्रधान की अनुपस्थिति भी बताने से व्यवस्था पर दोहरा कटाक्ष हो सकता था और मौखिक सूचना किसी साथी शिक्षक को दी जाती या फिर फोन पर अनुपस्थित संस्था प्रधान को सूचना दी जाती बच्ची के स्वास्थ्य संबंधी कारण बताते हुए, तो आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी द्वारा इंगित कमी स्वतः दूर हो जाती। बहरहाल बहुत बढ़िया रचना रही यह भी। 'वो' के स्थान पर 'वह' ही लिखना चाहिए न!
Comment by Rahila on September 22, 2016 at 9:36pm
आदरणीय सुशील सर जी!आपकी टिप्पणी सदैव मुझे प्रोत्साहित करती है ।बहुत आभार आपका।सादर
Comment by Rahila on September 22, 2016 at 9:34pm
आदरणीय कबीर साहब!आदाब,आपको रचना पसंद आई । इसके लिए बहुत शुक्रिया ।सादर
Comment by Rahila on September 22, 2016 at 9:32pm
आदरणीया कल्पना दीदी!आपको रचना पसंद आई ।मेरा लेखन सार्थक हुआ।सादर
Comment by Rahila on September 22, 2016 at 9:29pm
आदरणीय शकूर सर जी ! सादर आभार, आपसे हौसला अफ़जाई पाकर बहुत अच्छा लगा।
Comment by Rahila on September 22, 2016 at 9:27pm
आदरणीय विजय सर जी! रचना पसंद करने के लिए सादर आभार।नहीं सर जी! मध्य प्रदेश में अभी इस तरह से उपस्थिति का प्रावधान नहीं है।सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 22, 2016 at 9:19pm
मजेदार कहानी है , होशियार लोग हमेशा ऐन वक्त पर अवश्य उपस्थित रहते हैं। पर कहानी में एक कमजोर पक्ष भी है जिस बॉस ने उन अध्यापक को गर जाने की अनुमति दी उन्हें इसे करते हुए भी दिखाना चाहिए था।
यही है की आज अटेंडेन्स फिंगर या थम्ब इम्प्रेशन से ली जाने लगी है।
प्रस्तुत कथा के लिए बधाई आदरणीय सुश्री राहिला जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
21 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service