For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जनाज़ा(लघुकथा)राहिला

"सर!ये भागवती हत्याकांड के कई पहलू सामने आ रहे है।"

"जैसे कि?"फिर कुछ सोचकर 

"ये वही सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी वाली घटना की बात कर रहे हो?जिसकी उसी के कार्यालय में गांव के किसी दबंग ने कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी है।"

हाँ ,हाँ..!वही।दरअसल जितने मुंह उतनी बातें है सर! छोटा सा गांव है जहाँ मृतका पदस्थ थी।कुछ का कहना ये है, कि उच्च जाति का होने के कारण हत्यारे को  दलित महिला का अपनी बराबरी से बैठना नहीं सुहाता था ।"

"तो क्या वो भी कर्मचारी था? "

"जी,और मृतका के अधीनस्थ था ।वहीं दबी जुबान में ये सुनने में आ रहा है कि मामला अवैध सम्बन्ध  का है।और दोनों में किसी बात को लेकर विवाद हो गया था।"

"अच्छा और कोई बात इसके अलावा?"

"है सर !ये अवैध सम्बन्ध वाली बात उसकी सहकर्मी पूरी तरह से नकार रही हैं।उनका कहना है मामला शिक़वा शिकायत का है ।मृतका को ,हत्यारे द्वारा किसी घोटाले की भनक लग गयी थी ।जब से उसकी शिकायत उसने उच्चाधिकारी से की थी तब से हत्यारा खुन्नस खाये बैठा था।"

"हाँ तो अब तुम मुझसे ये  जानना चाहते हो खबर की मुख्य पंक्ति क्या हो?"अनुभवी  दिमाग ने  बात भाँपी।

"जी!"

"इतने तो तुम खुद भी समझदार हो की सनसनी किस खबर से फैलेगी।"

"लेकिन सर बाद में किसी और बात की पुष्टी हुयी तो?"

"तो बाद में  वो भी छाप देंगे छोटे से कालम में।अभी तो बड़े ,बड़े शब्दों में शाम के अखबार से सनसनी फैला दो।"बेहद सामान्य भाव से उन्होंने पेशा बदनाम किया।उसी दिन देर रात-

"चल उठ किसना!जो होना था हो गया ।सब जुड़ गए है ।आख़री बार चेहरा देख ले ।फिर जनाज़ा उठाते हैं।"

"चचा! अब कौन सा जनाज़ा उठना बाक़ी रह गया।मेरी सीधी -साधी भागो का जनाज़ा तो इन अख़बार वालों ने आज शाम को ही उठा दिया । वो दोनों हाथों से चेहरे को ढाँप , फबक,फबक के रो दिया।

अप्रकाशित एवं मौलिक

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Parvez khan on October 24, 2016 at 7:22am
आदरणीय राहिला जी मैौलिक एवं समाचार पत्रो की हकीकत वयान करती रचना के बधाई
Comment by Rahila on October 23, 2016 at 3:18pm

आप सभी आदरणीय सुधिजनों का तहे दिल से शुक्रिया ।आप सब ने रचना को समय दिया ,सराहा और मेरा हौसला बढ़ाया।सादर नमन सभी को।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 18, 2016 at 9:15pm
जात-पांत के व घोटाले के मुद्दे पर उम्दा प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया राहिला जी। कुछ टंकण त्रुटियों के अलावा // उसी दिन देर रात // के प्रयोग से कालखंड प्रतीत होता है, गुरूजन के मार्गदर्शन से स्पष्ट हो सकेगा। सम्पादन कर बेहतरीन स्वरूप दिया जा सकता है। सादर
Comment by savitamishra on October 18, 2016 at 7:46pm

बढ़िया कथा

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 18, 2016 at 5:04pm
आदरणीया राहिला जी इस मार्मिक एवं खूबसूरत रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by Sushil Sarna on October 18, 2016 at 1:22pm

आदरणीया राहिला जी मार्मिक और भावपूर्ण लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by harikishan ojha on October 18, 2016 at 10:36am
बहुत सुन्दर आ. राहिल जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service