दो मिनट में
नहीं लिख दी जाती
कोई कविता
जैसे नहीं बनती सब्जी
दो मिनट में बढ़िया
दो मिनट में तो
बनती है बस मैगी
जो सिर्फ पेट भरती हैं |
अपनी संतुष्टि के लिए
भले लिख दो
मिनट, दो मिनट में
कुछ भी अपने
अंतर्मन के भाव !
पर चाहिए तुम्हें यदि
सब की संतुष्टि
तो पहले उसे
कागज पर चढ़ाओ
फिर पकाओ
फिर जाके उतारो
अंगीठी से
धीरे-धीरे मध्यम आँच पर
पक जाती है कविता
कविता ही नही
कथा भी
और हाँ कहानी भी !
हर चीज की
तासीर के हिसाब से
दो उसे समय
फिर देखो
जो निकलेगी
वह होगी कोई
कविता या कहानी
जो दिलो में सबके
बस जाएगी
खाकर ऊँगली चाटने वाली कहावत
चरितार्थ कर जाएगी | सविता
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
समीर भैया जी तहेदिल से शुक्रिया | अभिवादन पहुँचे आपको हमारा ..|
आदरणीय गिरिराज भैया जी दिल से आभार आपका | सादर नमस्ते स्वविकार करें आशीष प्रदान करते रहें यूँ ही ..|
गीत रचना हंसी खेल सा कुछ नहीं यहसभी को मिला है शाश्वत दंड सा
टूटता है ह्रदय जब सुमन दंश से तब महकता है नव- गीत श्रीखंड सा ----बहुत खूब कहीं आपने अंकल जी ..आभार आपका |
हमारी हंसी -खेल सी रचना पर इतनी बढ़िया टिप्पड़ी करने के लिए | सादर नमस्ते
आ सविता जी , आपने बिलकुल सही बात कही | आंच से निकल कर ही सोना शुद्ध होता है |हार्दिक बधाई आपको |
आदरणीया सविता जी , बहुत सही बात कही , इस कविता सके लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।
वाह ----- गीत रचना हंसी खेल सा कुछ नहीं यहसभी को मिला है शाश्वत दंड सा
टूटता है ह्रदय जब सुमन दंश से तब महकता है नव- गीत श्रीखंड सा ----------बधाई आदरणीया .
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