For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल(शबाब पहने हुए )

फाइलातुन-मफाइलुन-फइलुन

कमसिनी में शबाब पहने हुए |
हुस्न निकला निक़ाब पहने हुए |

तुहमते बेवफ़ाई का कब से
हम हैं बैठे खिताब पहने हुए |

कौन आया है चीखी तारीकी
बज़्म में माहताब पहने हुए |

आँख में इंतज़ार दिल में तड़प
मैं हूँ यह इंक़लाब पहने हुए|

मत यक़ीं करना उसपे आया है
जो वफ़ा का हिजाब पहने हुए |

सामना अस्ल का ज़रूरी है
क्यूँ हैं आँखों में ख्वाब पहने हुए |

किस की तस्दीक़ आई है शामत
आए हैं वह इताब पहने हुए |

इताब-----गुस्सा

( मौलिक वअप्रकाशित )

Views: 700

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 25, 2016 at 7:39pm

जनाब राम बली साहिब ,   ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2016 at 1:32am
हर शैर सुंदर हुए हैं। दिल से बधाई लीजिये भाई तस्दीक जी
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 24, 2016 at 9:09pm

मोहतरम जनाब विजय साहिब ,  हौसला अफ़ज़ाई का  शुक्रिया ----

Comment by vijay nikore on October 24, 2016 at 3:36pm

इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

Comment by Samar kabeer on October 23, 2016 at 9:29pm
ये मिसरा बहतर है ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 23, 2016 at 7:23pm

मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---
आपका कहना दुरुस्त है , इस मिसरे को पहले इस तरह लिखा था --" मेरे घर माहताब पहने हुए " मगर बाद में तब्दील कर दिया , अब इसी को
रख लूंगा ----शुक्रिया

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 23, 2016 at 7:16pm

मोहतरम जनाब  सौरभ  साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 23, 2016 at 7:16pm

मोहतरम जनाब गिरिराज साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Samar kabeer on October 23, 2016 at 3:17pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
तीसरे शैर में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये'बज़्म में'

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 23, 2016 at 2:36pm

एक अच्छी ग़ज़ल हुई है, आदरणीय. बधाइयाँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service