For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 नेहा सुबह से उदास थी। शादी के पाँच साल होने को आए थे, पर उसकी गोद अब तक सूनी थी। उसकी और उसके पति की मेडीकल जाँच हो चुकी थी। सब ठीक था। फिर भी बात बन नहीं रही थी। बस सास इसी बात को लेकर अपने बेटे पर लगातार दबाव डाल रही थी कि वह उसे तलाक क्यों नहीं दे देता।

माँ की बातों में आकर आज सुबह ही अभिषेक तलाक के कागजात बनवाने वकील के पास चला गया था। भविष्य की चिंता को लेकर नेहा की आँखों में आँसू छलक आए थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसे लग रहा था कि हो सकता है अभिषेक का गुस्सा ठंडा पड़ जाए और वह वकील से मिले बिना ही लौट आए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

दोपहर होते-होते अभिषेक कागजों के साथ उसके सामने खड़ा था। उसकी सास उससे उन कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए कह रही थी। नेहा के सामने जैसे अंधेरा छा गया। वह चक्कर खाकर गिर पड़ी।

कोई अनहोनी न हो जाए इस डर से सास ने शोर मचा दिया। आसपड़ोस के कुछ लोग भी इकट्ठे हो गए। सास ने पास के एक डॉक्टर को भी बुला लिया।

"घबराने की कोई बात नहीं है आप दादी बनने वाली हैं।"- डॉक्टर ने चैकअप करके बताया तो माँ-बेटे के साथ-साथ अन्य लोगों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। थोड़ी देर बाद नेहा भी होश में आ गई।

अब अभिषेक की खुशी का ठिकाना नहीं था। सब लोग उससे मिठाई की माँग करने लगे। डॉक्टर के जाते ही उसने तलाक के कागज उठाए और फाड़कर कूड़ेदान में डाल दिए।

अभिषेक दौड़कर बाजार गया और फटाफट मिठाई खरीदी। सारे मोहल्ले में वह मिठाई बाँटता हुआ घर लौटा।

"नेहा, अब मैं बहुत खुश हूँ।" अभिषेक ने अपने कमरे में पहुँचकर नेहा को आलिंगन में लेने की कोशिश की।

"अब यह प्यार जताने का हक तुम खो चुके हो। मुझे अब इस घर में नहीं रहना है। मैं हमेशा के लिए तुम्हें छोडकर जा रही हूँ। "- कहते हुए नेहा ने उसको झटक दिया।

कमरे के दरवाजे पर खड़ी सास ने कहा, "तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या? कुछ भी बोले जा रही है। अब तो सब ठीक हो गया है न...?"

"हाँ, अगर आज ये पता न चलता कि मैं पेट से हूँ तो भी सब ठीक होता अभिषेक....?"- अभिषेक ठगा सा रह गया था। उसके पास कोई जवाब नहीं था।

नेहा बैग उठाकर जाने लगी।

"जा.....जा.... लेकिन इस बच्चे को बाप का नाम कैसे देगी तू ?"-सास ने पीछे से ताना मारा।

"अब उसके लिए माँ का नाम ही काफी है।" पेट में आई नन्हीं जान ने जैसे उसे जीने का सहारा दे दिया था। अभिषेक जब तक उसे मनाने आता तब तक नेहा घर की सारी दहलीज पार कर गई थी।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 600

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 16, 2016 at 1:12pm

बहुत बोल्ड स्टेप लिया नायिका ने जो इस लघु कथा को और श्रेष्ठ बनाती है आज कल की यही डिमांड है औरत  को न जाने क्या खिलौना समझ रक्खा है बहुत पसंद आई आपके ये लघु कथा आद० विनोद जी हार्दिक बधाई .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 27, 2016 at 12:34pm

एक बहूँ जब सास और पति को सबक सिखाकर सुंदर सन्देश देने के कारण इस लघुकथा को पसंद किया जाएगा | बधाई स्वीकारे 

Comment by Rahila on October 25, 2016 at 11:28am
बहुत अच्छी रचना आदरणीय सर जी!लेकिन इन परिस्थितियों में एक औरत के लिए ऐसा निर्णय लेना बहुत बड़ी बात है।आमतौर पर सिर्फ समझोता ही विकल्प होता है।सादर
Comment by विनोद खनगवाल on October 25, 2016 at 11:03am
आदरणीय रामबली गुप्ता जी बहुत बहुत धन्यवाद।
Comment by विनोद खनगवाल on October 25, 2016 at 10:59am
आदरणीय समीर कबीर जी लघुकथा पसंदगी के लिए शुक्रिया।
Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2016 at 2:03am
बहुत ही अच्छी लघु कथा हुई है आद0 दिल से बधाई स्वीकार करें।
Comment by Samar kabeer on October 23, 2016 at 2:59pm
जनाब विनोद खनग्वाल जी आदाब,अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service