बह्र2122 2122 212
यार गर फिर बावफ़ा हो जाएगा
प्यार मेरा फिर हरा हो जाएगा।
साथ मिल कोशिश करें सब ही सही
तो जहाँ फिर खुशनुमा हो जाएगा।
हाँ पकड़ कर बह्र को गर तुम चलो
तो गजल कहना भला हो जाएगा।
हो अकेले में जरा गर हौंसला
फिर तो पीछे काफिला हो जाएगा।
हो सही हिम्मत खुदी में दोस्तो
साथ में फिर तो खुदा हो जाएगा।
साथ रहकर बात हमदम से करो
छोड़ते ही बेवफ़ा हो जाएगा।
कुछ मुहब्बत जो करें कुदरत से भी
फिर हमें भी आसरा हो जाएगा।
प्यार का ही गर पकड़ लो रास्ता
ये जमाना आपका हो जाएगा ।
मान जिसको हम रहे इंसान ही
ख्याल खुद के में खुदा हो जाएगा।
कट नहीं पाएगी मेरी जिंदगी
इल्म गर मुझसे जुदा हो जाएगा।
दाग 'राणा' बेवफ़ाई का गलत
आम ये फिर सिलसिला हो जाएगा
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
वाह आदरणीय सतविंदर जी .... दिलकश अशआर और खूबसूरत अदायगी। .... इस सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।
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