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गजल(अगर हो नागवारी....)

1222 1222 1222 1222
अगर हो नागवारी तो भुलाना भी जरूरी है
भले कुछ हो हमारा पास आना भी जरूरी है।1

बटोरे थे बहुत धन अबतलक कुछ इस कदर मैंने
पचाना हो गया मुश्किल बताना भी जरूरी है। 2

चुने मैंने महज चमचे बदलने को पुराने सब
असीमित नोट हैं अब तो गिनाना भी जरूरी है।3

पड़े छापे बहुत अबतक पड़ेंगे और भी कितने
अगर हों साथ कुछ अपने दिखाना भी जरूरी है।4

पकड़ में आ न जाये धन सँजोया वक्त गाढ़े का
जलाना या बहा गंगा नहाना भी जरूरी है।5
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

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Comment by Manan Kumar singh on November 19, 2016 at 10:53pm
हौसला आफजाई के लिए आपका शुक्रिया मोहतरम समर साहिब।
Comment by Samar kabeer on November 13, 2016 at 3:00pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

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