For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गर्दिश में पैमाना है

*22 22 22 22 22 22 22 2*

आज बहुत सुनसान पड़ा क्यूँ, दिल का ये मैखाना है
साकी रूठ गया है मुझसे, गर्दिश में पैमाना है।

जश्न मनाते लोग यहाँ अब, बंद कपाटो के पीछे
होटल में ले जाते उनको, जब भी पड़े खिलाना है।।

देते खबर पडोसी की अब, हमको भी अखबार यहाँ।
कैद हुए है घर में सारे, सीमित हुआ ठिकाना है।।

भरी पड़ी है फ्रेंड लिस्ट भी फेसबुकी दिलदारों से
कांधा लोग नहीं देंगे पर, खुद ही बोझ उठाना है।।

नुक्कड़ पर अब लोग नही है, मिलती है ख़ामोशी क्यूँ
चौराहों नुक्कड़ पर यारो, मिलना हुआ पुराना है।।

त्योहार पड़े फीके अब तो, परम्पराएँ बंद हुई।
होली में यारो को देखे, गुजरा एक जमाना है।।

हर कोई बेबस दिखता है, बदली हुई फ़िजाओ में
दिल का दर्द हमें तो यूँही, तनहा लिखते जाना है।।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on November 24, 2016 at 11:52am
आदरणीय सतविन्द्र भैया गजल को मान देने के लिए आभार आपका
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 24, 2016 at 10:05am
आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी,उम्दा गजल कहने के लिए दिल से मुबारकबाद!
Comment by नाथ सोनांचली on November 23, 2016 at 2:16pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी और आदरणीय समर कबीर साहब आप द्वय को प्रणाम, गजल को मान देने के लिए ह्रदय से आभार। आदरणीय गिरिराज जी की बातों को गौर कर्र्के परिवर्तन किया है हमने।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 23, 2016 at 12:01am

आदरणीय सुरेन्द्र जी बढ़िया ग़ज़ल कही है. बधाई. गुनीजनों के मार्गदर्शन पर ध्यान दीजियेगा. सादर 

Comment by Samar kabeer on November 22, 2016 at 9:43pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । जनाब गिरिराज भाई के मश्विरे पर ध्यान दीजियेगा ।
मतले के सानी मिसरे में "साक़ी" शब्द पुल्लिंग है, देखियेगा ।
Comment by नाथ सोनांचली on November 22, 2016 at 5:37pm
आदरणीय गिरिराज जी सादर अभिवादन, गजल को समय देने और प्रोत्साहित करने हेतु आभार। अवश्य ध्यान दूंगा आपकी बातो पर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 22, 2016 at 12:49pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , बहरे मीर पर बहुत अच्छी गज़ल कही है आपने , हार्दिक बधाइयाँ । लयात्मकता के हिसाब से  इस मिसरे को -
जश्न मनाते अब लोग यहाँ, बंद कपाटो के पीछे   -- ऐसा कर लें --  जश्न मनाते  लोग यहाँ अब , बंद कपाटो के पीछे

वैसे ही -- देते अब खबर पडोसी की --  को -- देते  खबर पडोसी की अब

त्योहार पड़े फीके अब तो   ---  को -- फीके अब  त्योहार पड़े तो 
ऐसा कर के लय देखियेगा , सही लगे तो परिवर्तन कीजियेगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, यक़ीन मानिए मैं उन लोगों में से कतई नहीं जिन पर आपकी  धौंस चल जाती हो।  मुझसे…"
22 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मैं नाम नहीं लूँगा पर कई ओबीओ के सदस्य हैं जो इस्लाह  और अपनी शंकाओं के समाधान हेतु…"
22 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  बात ऐसी है ना तो ओबीओ मुझे सैलेरी देता है ना समर सर को। हम यहाँ सेवा भाव से जुड़े हुए…"
23 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय, वैसे तो मैं एक्सप्लेनेशन नहीं देता पर मैं ना तो हिंदी का पक्षधर हूँ न उर्दू का। मेरा…"
23 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, मैंने ओबीओ के सारे आयोजन पढ़ें हैं और ब्लॉग भी । आपके बेकार के कुतर्क और मुँहज़ोरी भी…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन, ' रिया' जी,अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया आपने, विद्वत जनों के सुझावों पर ध्यान दीजिएगा,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन,  'रिया' जी, अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया, आपने ।लेकिन विद्वत जनों के सुझाव अमूल्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल का आपका प्रयास अच्छा ही कहा जाएगा, बंधु! वैसे आदरणीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदाब, 'अमीर' साहब,  खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने ! और, हाँ, तीखा व्यंग भी, जो बहुत ज़रूरी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"1212    1122    1212    22 /  112 कि मर गए कहीं अहसास…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service