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आदरणीय सुरेन्द्र जी बढ़िया ग़ज़ल कही है. बधाई. गुनीजनों के मार्गदर्शन पर ध्यान दीजियेगा. सादर
आदरणीय सुरेन्द्र भाई , बहरे मीर पर बहुत अच्छी गज़ल कही है आपने , हार्दिक बधाइयाँ । लयात्मकता के हिसाब से इस मिसरे को -
जश्न मनाते अब लोग यहाँ, बंद कपाटो के पीछे -- ऐसा कर लें -- जश्न मनाते लोग यहाँ अब , बंद कपाटो के पीछे
वैसे ही -- देते अब खबर पडोसी की -- को -- देते खबर पडोसी की अब
त्योहार पड़े फीके अब तो --- को -- फीके अब त्योहार पड़े तो
ऐसा कर के लय देखियेगा , सही लगे तो परिवर्तन कीजियेगा
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