For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गर्द में सारा नगर डूबा हुवा है।

बह्र: 2122 2122 2122

रात हो या दोपहर डूबा हुआ है।
गर्द में सारा नगर डूबा हुआ है।।

मौत आनी है यकीनन इस जहाँ में
खौफ में फिर भी बशर डूबा हुआ है।।

लक्ष्य कोई भी तुझे कैसे मिलेगा
तू निराशा में अगर डूबा हुआ है।।

ख़त्म करता जा रहा है दश्त इंसाँ
फ़िक्र में अब हर शजर डूबा हुआ है।।

साथ में कुछ भी नही जाता यहाँ से
मोह में इंसाँ मगर डूबा हुआ है।।

वो दिलासा क्‍या हमें देगा जो खुद ही
'आँसुओं में तर ब तर डूबा हुआ है।।'

यूँ छुपाया गेसुओं ने चाँद चेहरा
बादलों में इक क़मर डूबा हुआ है।।

'नाथ' उल्फत के नशे में क्या मज़ा, जो
मस्त हो, आठों पहर डूबा हुआ है।।

(तरही गजल)
(मौलिक व अप्रकाशित

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on December 7, 2016 at 1:38pm
भाई आद0 मनोज कुमार अहसास जी गजल को पढ़ने और प्रतिक्रिया से नवाजने के लिए कोटिश आभार
Comment by मनोज अहसास on December 7, 2016 at 7:07am
खूखूबसूरत गजल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीयभाई सुरेंद्र नाथ जी
Comment by नाथ सोनांचली on December 7, 2016 at 4:21am
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन। आपने गजल पढकर मुझे आशीष दिया, इसके लिए कोटिश आभार
Comment by नाथ सोनांचली on December 7, 2016 at 4:19am
आद0 डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आप ने गजल को पढ़ा और आशीष दिया, इसके लिए ह्रदय से आभार
Comment by नाथ सोनांचली on December 7, 2016 at 4:18am
आद0 जनाब समर कबीर साहब आदाब, आपको शैर पसंद आये,लिखना सफल हो गया। आपके स्नेह के लिए ह्रदय से आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 6, 2016 at 10:48pm
आदरणीय सुरेंद्र जी आपने बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 6, 2016 at 5:57pm

ख़त्म करता जा रहा है दश्त इंसाँ
फ़िक्र में अब हर शजर डूबा हुआ है।।------------------ बढ़िया गजल हुयी है

Comment by Samar kabeer on December 6, 2016 at 5:41pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, यक़ीन मानिए मैं उन लोगों में से कतई नहीं जिन पर आपकी  धौंस चल जाती हो।  मुझसे…"
12 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मैं नाम नहीं लूँगा पर कई ओबीओ के सदस्य हैं जो इस्लाह  और अपनी शंकाओं के समाधान हेतु…"
12 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  बात ऐसी है ना तो ओबीओ मुझे सैलेरी देता है ना समर सर को। हम यहाँ सेवा भाव से जुड़े हुए…"
13 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय, वैसे तो मैं एक्सप्लेनेशन नहीं देता पर मैं ना तो हिंदी का पक्षधर हूँ न उर्दू का। मेरा…"
13 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, मैंने ओबीओ के सारे आयोजन पढ़ें हैं और ब्लॉग भी । आपके बेकार के कुतर्क और मुँहज़ोरी भी…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन, ' रिया' जी,अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया आपने, विद्वत जनों के सुझावों पर ध्यान दीजिएगा,…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन,  'रिया' जी, अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया, आपने ।लेकिन विद्वत जनों के सुझाव अमूल्य…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल का आपका प्रयास अच्छा ही कहा जाएगा, बंधु! वैसे आदरणीय…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदाब, 'अमीर' साहब,  खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने ! और, हाँ, तीखा व्यंग भी, जो बहुत ज़रूरी…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"1212    1122    1212    22 /  112 कि मर गए कहीं अहसास…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service