For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"भोपाल- तीन दिसम्बर" -मेरे सर्वप्रथम हाइकू : अर्पणा शर्मा

गैस त्रासदी,
पीड़ित मानवता,
कराह उठी...!!

भीड़ उन्मादी,
कारखाने बाहर,
देखे बर्बादी,

की है मुनादी
मिलेगा मुआवजा,
क्या है ये काफी???

कैसे भगाया,
एंड़रसन यहाँ,
है अपराधी,

नासूर से ही,
जख़्म यहाँ रिसते
वर्षों बाद भी,

बही थी यहाँ,
भूलेगा नहीं कभी,
मौत की नदी...!!!

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 5, 2016 at 3:09pm

अच्छा प्रयास , हइकू  की तीनो पंक्तिया स्वतंत्र हों एक दुसरे से लिंक न हों  कितु तीनों का एक संयुक्त प्रभाव/अर्थ  हो . इस लिहाज से एक बार फिर रचन को मांजने का प्रयास करें . सादर .

शोर था बड़ा 

मिला मुआवजा 

ऊँट के मुख ------


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 4, 2016 at 9:26pm

आदरणीया अर्पणा जी, भोपाल गैस त्रासदी के दर्द को शाब्दिक करते प्रभावशाली हाइकू पर हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Samar kabeer on December 4, 2016 at 4:53pm
मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी दुखद घटना थी ये,जिन लोगों ने इस पीड़ा को भोगा है वही जानते हैं,लेकिन इसका एक पहलू ये भी है कि कुछ लोगों ने इस पीड़ा को नहीं झेला लेकिन जब मुआवज़े का ऐलान हुआ तो बहुत से ऐसे लोग भी मुआवज़ा लेने के हक़दार बन गये जो उस समय भोपाल में या भोपाल के नहीं थे,ऐसे कुछ लोगों को मैं ज़ाती तौर पर जानता हूँ जिन्होंने कई वर्षों तक बिना कुछ सहे मुआवज़ा लिया है,ख़ैर अब तो यही दुआ है कि अल्लाह हमें ऐसी घटना से बचाये ।
Comment by Arpana Sharma on December 4, 2016 at 9:11am
आ.श्रीमान् समर कबीर साहब - हौसला अफजाई के लिए आपका बहुत शुक्रिया । जी मैं भोपाल में पैदा हुई और यहीं पली बढ़ी हूँ । गैस त्रासदी हमने भी भोगी है। मुझे आज भी याद है कैसे हमारे घरों में मिथाइल आइसोसाइनाइड़ गैस भर गई थी। हम बाहर भी नहीं भाग पाए। फिर अपने घर में अंदर का एक कमरा गीले कपड़ों से सील करके हम सब कई घंटों वहाँ बंद रहे। ठंड़ के कारण जहरीली गैस भारी होकर नीचे ही रही। जब पास के मिलिट्री एरिया से आक्सीजन छोड़ी गई तब थोड़ी राहत मिली। सुबह बाहर निकले तब देखा हर जगह लाशें पटी पड़ीं थीं । पेड़ काले पड़ गये थे। पक्षी, मवेशी हर जगह मरे पड़े थे। उनके पेट वीभत्स रूप से फूल गये थे। सुबह फिर गैस लीक हुई तो हमें भी भागना पड़ा। चारों ओर लोग भाग रहे...सब शहर से बाहर...

गैस के दुष्प्रभाव से ही मेरे कानों का सामान्य सा संक्रमण इतना बढ़ गया कि अंततः मैं अपनी श्रवण शक्ति पूरी तरह खो बैठी।
नामालूम सा मुआवजा इन नुकसानों की कतई भरपाई नहीं कर सकता। उस दिन तो मौत की नदी बही थी ....
Comment by Samar kabeer on December 3, 2016 at 4:55pm
मोहतरमा अर्पणा शर्मा जी आदाब,बहुत अच्छे हाइकू लिखे आपने,दर्द पूरी तरह बयान हो रहा है,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
आप भोपाल से हैं क्या ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
15 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service