मुखौटा
संसद से सड़क तक
फैले हुए मुखौटे मुँह चिढ़ाते हैं मुझे
और मैं हंसकर उनकी उपेक्षा कर देता हूँ
और मुझसे यह अपेक्षा की भी जाती है !
आखिर वो भी तो मेरी - - - सी स्सस्सस्सीईई
ढाँप लेता हूँ
कम्बल बढ़ने लगी है सर्दी
पहन लेता हूँ मुखौटा
बढ़ने लगी है भीड़ सी--- सीईईईईईईई !
सोमेश कुमार(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
पहन लेता हूँ मुखौटा
बढ़ने लगी है भीड़ सी--- सीईईइ, - वाह ! अच्छी प्रस्तुति | मुखोटा पहनने से सुरक्षा है तो किसी को मुखौटा बताने में बड़ा ख़तरा भी है श्री सोमेश कुमार जी | एक RSS नेता तो इसके भुक्त-भोगी भी है !
आदरणीय सोमेश जी, बढ़िया प्रस्तुति. हार्दिक बधाई. सादर.
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