अदालत में बैठे बैठे उनकी आंख लग गयी, अभी तक जज साहब नहीं आये थे और लगता था कि आज भी नहीं आएंगे| लगभग साल होने को आये थे लेकिन मामला पहली सुनवाई के बाद आगे नहीं बढ़ पाया था| पता नहीं और कितने महीने या साल लग जायेंगे इसमें, उनको खुद को समझ में नहीं आ रहा था|
शादी के कुछ ही हफ्ते बाद पत्नी ने शिकायत करना शुरू कर दिया और एक दिन वह अपना सूटकेस लेकर निकल गयी| शाम को जब उन्होंने फोन किया तो उसने साफ़ साफ़ कह दिया कि वह उनके साथ नहीं रह सकती| उन्होंने समझाने की बहुत कोशिश की, उसके घर भी गए लेकिन न तो पत्नी ने उनसे सीधे मुंह बात की और न ही उसके परिवार वालों ने| उलटे कुछ दिन बाद ही उनके पास तलाक का कागज़ आ गया और साथ में धमकी भी कि अगर ज्यादा कुछ बोला तो दहेज़ उत्पीडन का मामला भी लगा देंगे| इस बीच उनको पता चल गया था कि पत्नी का अफेयर किसी और के साथ था| लेकिन उसने किस दबाव में उनसे शादी कर ली, उनको पता भी नहीं था| उन्होंने इस बाबत भी एकाध बार पूछा लेकिन जवाब नहीं मिला उनको|
उन्होंने एक बार अंगड़ाई ली और अगल बगल देखा| बगल में कोई अखबार छोड़ के चला गया था, जो कि आश्चर्यजनक था| आजकल तो लोग अखबार भी पढ़ने के बाद लेकर चले जाते हैं कि घर पर रहेगा तो रद्दी में बिक ही जायेगा| खैर उन्होंने अनमने मन से अखबार उठाया और उसपर नजर दौड़ाने लगे| एक खबर पर उनकी नजर टिक गयी, खबर ट्रिपल तलाक़ के बारे में थी और लिखा था कि इसका बंद होना बहुत जरुरी है| पढ़ते हुए वह सोच में डूब गए, कुछ समय पहले तक तो उनका भी यही मानना था कि इसे बंद होना चाहिए| लेकिन आज वह खुद तंय नहीं कर पा रहे थे कि अगर दोनों तलाक़ के लिए तैयार हों तो क्या ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए|
तभी कमरे में शोर बढ़ गया और उनकी तन्द्रा भंग हुई| सामने देखने पर पता चला कि आज भी जज साहब नहीं आएंगे और लोग अगली तारीख लगवाने के लिए लग गए थे| उन्होंने भी विचारों को झटका दिया और अगली तारीख लगवाने के लिए बढ़ गए|
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब
बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी
बहुत बहुत आभार आ जितेंद्र पस्टारिया जी
वर्तमान से एक अच्छा विषय उठाकर , साझा किया है आपने आदरणीय विनय जी। प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये
बेहतरीन प्रस्तुति। हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी।
बहुत बहुत आभार आ मिथिलेश वामनकर जी, हो सकता है थोड़ी जरुरत हो कसावट की| देखते हैं बाकी गुणीजन क्या कहते हैं
आदरणीय विनय जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. इस लघुकथा में मुझे कसावट की जरुरत महसूस हुई. चूंकि इस विधा का अभ्यासी नहीं हूँ इसलिए गुनीजनों की राय की प्रतीक्षा है. सादर
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