For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद बेनूर वफ़ा शर्म हया के हद में, (ग़ज़ल)

बहरे रमल मुसम्मन मखबून महजूफ,
2122 1122 1122 22,
इश्क तो पाक था बेदाद हुआ जाता है।
कातिले फ़ौज ही आजाद हुआ जाता है। 1
-------
चाँद बेनूर वफ़ा शर्म हया की हद में,
जुल्म कर अब्र ये आजाद हुआ जाता है। 2
------
लाख ही यत्न करो मर्ज बढ़ा ही जाए,
बात बेबात ही जेहाद हुआ जाता है। 3
------
हो रही खाक लगी आग बसारत देखो,
था बशर मोम का बर्बाद हुआ जाता है। 4
------
ऐ खुदा शाद अता रूह को फ़रमा देना,
अब जुदा जीभ से हर स्वाद हुआ जाता है। 5
-------
ओढ़कर दर्द ग़ज़ल झूम रही गा गाकर,
साज आवाज है इरशाद हुआ जाता है। 6
--------
छोड़ दो आप छड़ी अब तो चलाना हम पर,
जाहिरा नेक सबक याद हुआ जाता है। 7
--------
वे मिला आँख यूँ बेचैन किये जाएगें,
बेअसर प्यार में फरियाद हुआ जाता है। 8
_______________________
मौलिक एवम् अप्रकाशित रचना,

Views: 1070

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 14, 2016 at 3:48pm
जी,आदरणीय रवि शुक्ला जी, तमाम मसवरे के बाद ग़ज़ल अब आपके सामने है अब आप अपनी राय से जरूर नवाजे आपकी ग़ज़ल पर आमद का बेहद शुक्रिया है।
Comment by Ravi Shukla on December 14, 2016 at 2:49pm

आदरणीय सुनील प्रसाद जी गजल का बढि़या प्रयास हुआ है बधाई स्‍वीकार करें । विद्वत जन कह ही चुके है इस पर उससे निश्चित ही लाभ होगा । 

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 13, 2016 at 6:31pm
जी,जनाब मिथलेश जी, जनाब समर कबीर जी,अपनी समझ में काफ़िया 'द' बनाकर मैंने कुछ तब्दीली की थी जो उचित नहीं तो उस मिसरे पर कुछ और काम करता हूँ आप सबकी नेक नसीहत के लिए दिली शुक्रिया।
Comment by Samar kabeer on December 13, 2016 at 5:14pm
वाक़ई,'चाँद'और 'आज़ाद'क़ाफिये की तुकान्तता गलत है,मेरा भी ध्यान नहीं गया इस तरफ़, भाई मिथिलेश जी ठीक कहते हैं ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 13, 2016 at 4:16pm

आदरणीय सुनील प्रसाद जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने, दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं. मुझे चाँद और आज़ाद का काफिया होना समझ नहीं आया. बाकी गुणीजन कह ही चुके हैं. सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 12, 2016 at 8:25pm

जनाब सुनील प्रसाद साहिब , सुन्दर ग़ज़ल हुई है , दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं --
शेर 3 का सानी मिसरा बहर में नहीं है , शहर की जगह नगर कर लीजियेगा ---सादर

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 12, 2016 at 6:44pm
जी शुक्रिया, जनाबेआली समर कबीर जी अदाब कुबूल फरमाए आपके रायशुमारी के बाद इस पर काम करना है आपकी नसीहत के साथ ही ये ग़ज़ल मुकम्मल हो पाएगी।
Comment by Samar kabeer on December 12, 2016 at 4:59pm
जनाब सुनील प्रसाद जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं ।
दूसरे शैर में 'इमदाद'स्त्रीलिंग है, देखियेगा ।
आख़री शैर में 'इरसाद'को "इरशाद"कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service