For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जूते की जुबानी (हास्य व्यंग्य)

मैं बेबस लाचार पड़ा, अपनी बात बताता हूँ |
मैं जूता सुन यार तुझे, किस्से आज सुनाता हूँ ||

शोभा नही हमारे बिन, राजा या रँक फकीर की |
हम चरणों के दास हुए, माया यहीं तकदीर की।

हमें पहन इंसान यहाँ, काँटों पर भी चलते हैं |
राह भले हो पथरीली, कदम नहीं ये रुकते हैं ||

इंसाँ तुच्छ समझता है, गिनता हमको रद्दी भर |
भूल गया इतिहास सभी, हम बैठे थे गद्दी पर ||

चौदह वर्षों तक हम भी, अवध देश की शान रहे |
शीश झुकाते श्रद्धा से, देते सब सम्मान रहे ||

मंदिर हो या हो मस्ज़िद, गिरजाघर या गुरुद्वारा |
अंदर जाना इनमे क्यूँ, वर्जित है यार हमारा ||

पूजा खण्डित होती क्यूँ, साथ हमे ले जाने से |
क्यूँ हम अपमानित होते, जैसे हो बेगाने से ||

पैर पिता के जूते में, बेटा का आ जाता है |
बाप बराबर बेटा तब, दुनियाँ में कहलाता है ||

सभी सालियाँ शादी में, जूते खूब चुराती हैं |
फिर पैसों का आग्रह कर, दूल्हे को समझाती हैं ||

अभी समय पास तुम्हारे, यह समझ नहीं पाता तूँ |
नंगे पाँव पड़ा फिर भी, क्यों भाग नही जाता तूँ ||

दूल्हा जूते चोरी को, केवल रस्म समझता है |
जीवन भर नासमझी की, भारी कीमत भरता है ||

अगर रहे हम पैरों में, सबका मान बढ़ाते हैं |
गर पड़ जाएं गले किसी, शर्मसार कर जाते हैं ||

करो हमारी भी इज्जत, नहीं उछालो नेता पर |
हम पैरो में ही जँचते, राजा रँक अभिनेता पर ||

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 810

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on January 15, 2017 at 11:33am
शेख शहजाद उस्मानी साहब, रचना पर अमूल्य समय देकर हौसला अफजाई के लिए ह्रदय की गहराईयो से आभार आपका, सादर
Comment by नाथ सोनांचली on January 15, 2017 at 11:32am
आदरणीय विजय शंकर जी आपने रचना पढ़ कर हौसला अफजाई किया,, उसके लिए ह्रदय तल से आपका आभार
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 15, 2017 at 11:14am
गंभीर विषय पर हास्य व्यंग्य के पुट लिए कटाक्ष पूर्ण संदेश वाहक शिक्षाप्रद सृजन के लिए सादर हार्दिक बधाई आपको आदरणीय सुरेंद्र नाथ कुशक्षत्रप जी ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 13, 2017 at 10:34am
अच्छा है , बधाई , आदरनीय सुरेंद्र नाथ कुशक्षत्रप जी , सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on January 11, 2017 at 9:42pm
आदरणीय सुशील सरना जी मेरे लिखे को मान देने और हौसलाअफजाई करने के लिए हृदय तल से आभार।
Comment by नाथ सोनांचली on January 11, 2017 at 9:41pm
आदरणीय सुशील सरना जी मेरे लिखे को मान देने और हौसलाअफजाई करने के लिए हृदय तल से आभार।
Comment by Sushil Sarna on January 11, 2017 at 7:15pm

वाह आदरणीय जूते को केंद्रित कर सुंदर व्यंगात्मक एवम सार्थक प्रस्तुति बन पड़ी है। इस सृजन के लिए हार्दिक बधाई सर। 

Comment by नाथ सोनांचली on January 11, 2017 at 7:13pm
आद0 मोहम्मद आरिफ जी स्वागत है, आपकी उत्साहवर्धन से हौसला बढ़ा है, आभार आपका
Comment by नाथ सोनांचली on January 11, 2017 at 7:12pm
आद0 समर कबीर साहब, आपके स्नेहिल प्रेम और प्रशंशा का मई ऋणी हूँ, आभार आपका। आपके बताये गए सुझाव पर ध्यान देते हुए परिवर्तन करूँगा
Comment by नाथ सोनांचली on January 11, 2017 at 7:11pm
आद0 मिथिलेश जी, आपसे प्रशंशा पाकर नयी ऊर्जा का संचार हुवा, आभार आपका हौसला आफजाई के लिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
14 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
18 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service