For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दूधिया चादर में लिपटी वादियाँ (वादियों की एक दिलकश सुबह ग़ज़ल "राज")

2122   2122  212

सुन हवाओं की जवाँ सरगोशियाँ

दूधिया चादर में लिपटी वादियाँ

 

देख  भँवरे   की नजर  में शोखियाँ  

चुपके  चुपके हँस रही थीं  तितलियाँ

 

 नींद में सोये  कँवल भी जग उठे     

गुफ्तगू जब कर रही थी किश्तियाँ

 

 छटपटाती कैद में थी  चाँदनी

हुस्न को ढाँपे हुए थी बदलियाँ

 

मुट्ठियों में भींच के सिन्दूर को

मुन्तज़िर खुर्शीद की थी रश्मियाँ  

 

फिक्र-ए-शाइर पे भी छाया नूर सा

देख कातिल हुस्न की ये मस्तियाँ

 

चाहती है कौन बंधन जाल का 

मशविरा ये कर रही थी मछलियाँ

 

घोंसले  में जिन्दगी महफूज़ थी
शाख़ ने थामी हुई थी बिजलियाँ

 

हो गई कलियाँ शहाबी इश्क में

राज खोलें सब लबों की सुर्खियाँ 

---------मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 957

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 17, 2017 at 9:23pm

आद० रोहिताश्व मिश्रा जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 17, 2017 at 9:22pm

आद० गिरिराज जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरी ग़ज़ल धन्य हुई दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 17, 2017 at 9:21pm

मुहतरम  जनाब  उस्मानी जी ,आपकी इस होंस्लाफ्जाई का दाद का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ |

Comment by रोहिताश्व मिश्रा on January 17, 2017 at 9:13pm

Vaah.....

Bahut pyaari si ghazal..hai...

Vaaaah


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 17, 2017 at 8:49pm

आदरनीया राजे श जी , बढिया गज़ल कही है आपने , सभी अश आर अच्छे निकाले हैं आपने , बधाइयाँ स्वीकार करें ।  आ. समर भाई जी बातों  का ख़्याल कीजियेगा . साथ ही  मतले पर आ. मिथिलेश भाई  जी की सलाह भी खूब है ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 17, 2017 at 8:30pm
गुनगुनाने लायक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरमा राजेश कुमारी साहिबा। मोहतरम जनाब समर कबीर साहब व अन्य सभी वरिष्ठजन की टिप्पणियों से हमें भी बहुत लाभ होता है। आप सभी को हृदयतल से बहुत बहुत शुक्रिया।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 17, 2017 at 7:55pm

मिथिलेश भैय्या आपका तहे दिल से शुक्रिया .आपकी इस्स्लाह भी स्वागत योग्य है बहुत अच्छा है | आप लोगों की इस्स्लाह से ग़ज़ल के सौन्दर्य में वाकई निखार आया है बहुत शुक्रगुजार हूँ .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 17, 2017 at 7:52pm

आद० समर भाई जी ,बहुत बहुत शुक्रिया. मूल पोस्ट में मतले में सुधार  कर लिया है .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 17, 2017 at 12:03pm

आदरणीया राजेश दीदी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. दीदी आपका मतला मैंने कुछ यूं गुनगुनाया है-

जब हवाओं में हुई सरगोशियाँ 

दूधिया चादर में लिपटी वादियाँ

बाकी अशआर एक से बढ़कर एक हुए है. मक्ता भी जबरदस्त है. इस शानदार ग़ज़ल पर दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 

Comment by Samar kabeer on January 16, 2017 at 2:58pm
बहना संशोधन के बाद ग़ज़ल ख़ूब निखर गई है,लेकिन मतले का ऊला मिसरा फिर से देखिये,'सरगोशियाँ'न जवान होती हैं न बूढी ?
और जहाँ अनुस्वार की आवश्यकता है वहाँ फिर से देखिये,एक वचन और बहुवचन का फ़र्क़ पड़ रहा है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service