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गीत-गुलसितां दिल का खिलाते रह गए//(अलका ललित )

2122 2122 212
.
गुलसितां दिल का खिलाते रह गए
फासले दिल के मिटाते रह गए
गुलसितां दिल का........

.

चाहतें अपनी बड़ी नादान थी
इश्क की राहें कहा आसान थी
फिर भी हम कसमें निभाते रह गए
फासले दिल के मिटाते ......

.

हाथ में तेरे मेरा जब हाथ हो
जिंदगी कट जाएगी गर साथ हो
हम भरोसा ही जताते रह गए
फासले दिल के मिटाते ...

.

चाह थी तो छोड़ कर ही क्यूँ गया
वास्ता देकर वफ़ा का क्यूँ भला
बेवजह दामन हि थामे रह गए
फासले दिल के मिटाते....


गुलसितां दिल का खिलाते रह गए

फासले दिल के मिटाते रह गए...

.

"मौलिक व अप्रकाशित" 

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Comment by Samar kabeer on January 17, 2017 at 10:35am
मोहतरमा अलका ललित जी आदाब,अच्छा गीत है, बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on January 16, 2017 at 10:22pm
आदरणीया अलका ललितजी, आदाब ! बेहतरीन गीत की प्रस्तति हुई है । दगल से मुबारक़बाद क़ुबूल करें । सादर...

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