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निगाहों से बुला लीजे शरारत और हो जाए ।
जो धड़कन में बसा लीजे इनायत और हो जाए।।
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कलाई की अदा देखी कई पैगाम देती है ।
जरा कंगन बजा दीजे कयामत और हो जाए।।
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ये परवानों की महफ़िल है गिरा दीजे ज़रा चिलमन।
कहीं ऐसा न हो हमदम अदावत और हो जाए।।
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दिलों को चैन हम देंगे जफ़ा से तौबा करने दो।
वफ़ा की राह में चाहे बगावत और हो जाए।।
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मेरे ख़त में तड़पती है जमाल-ए-दीद की हसरत ।
जो तुम खामोशियाँ पढ़ लो तो नैमत और हो जाए ।।
निगाहें कर रही घायल लटों की ओट से तौबा।
जरा अलकें हटा लीजे इनायत और हो जाए ।।
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"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय आशीष यादव जी ,आपको प्रयास पसन्द आया इसके लिए धन्यवाद। सादर
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी , आपको प्रयास पसन्द आया इसके लिए धन्यवाद।
मैं अलका हूँ,अपने दोनों परिवारों और उनसे मिले सरनेम का आदर करती हूँ। मुझे मेरी पहचान मेरे हस्बैंड ललित जी के साथ पसन्द आती है इसलिए अलका ललित।
आ० मिथिलेश जी और आ० समर कबीर जी की आभारी हूँ ,उनकी सलाह अनुसार संशोधन किया है। सादर
आदरणीय समर कबीर जी,शुभकामनाओं के लिए बहुत आभार आपका । प्रयास पर आपके मश्वरे के लिए भी तहेदिल से शुक्रिया।
उर्दू शब्द गूगल से ही ढूंढती हूँ इसलिए ज्यादा नहीं जानती।
आपके सुझाव अनुसार संशोधन किया है । सादर
आ० यह गजल अलका जी का है या ललित जी का या फिर दोनों का सम्मिलित प्रयास है , जो भी हो बढ़िया कोशिश है . आ० मिथिलेश जी की सलाह पर अम्ल जरूर करें .
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत बहुत धन्यवाद।आपने समय दे कर बहुत ही अच्छे से detail में समझाया है बहुत शुक्रिया आपका। आपके मूल्यवान मश्वरे के लिए भी तहेदिल से शुक्रिया।
आपके सुझाव अनुसार संशोधन किया है । सादर
आ. अलका ललित जी, आपकी किसी पहली प्रस्तुति से गुजर रहा हूँ. ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है. बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.
मतला बहुत बढ़िया हुआ है लेकिन यह भी अवश्य है कि मिसरा-ए-उला में लीजे का प्रयोग और मिसरा-ए-सानी में लो तो का प्रयोग अटपटा लग रहा है. या तो दोनों मिसरों में लीजे हो या लो तो
कलाई की अदा देखि कई पैगाम है देती ।-------> कलाई की अदा देखी कई पैगाम देती है।
दिलों को दर् /द न देंगे /जफ़ा से कर /लिया तौबा ।------------> यह मिसरा बेबहर हो रहा है . न और ना दोनों वजन 1 मात्रा ही होता है.
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मजाले-ए-दीद को मजाल-ए-दीद कर लीजियेगा
इस शानदार ग़ज़ल पर दिल से दाद कुबूल फरमाएं. सादर
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