For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता-एक कविता लिखना चाहता हूँ

धूल , मिट्टी और गारे से सनी
एक कविता लिखना चाहता हूँ
इस आपाधापी से बचना चाहता हूँ
मिट्टी की सौंधी महक वाली
गोबर से लीपे आँगन वाली
एक कविता लिखना चाहता हूँ
इस आपाधापी से बचना चाहता हूँ
टूटे खाट पर बैठी
जाड़े में धूप सेंकती
सौ बरस की बुढ़िया पर
एक कविता लिखना चाहता हूँ
इस आपाधापी से बचना चाहता हूँ
कुएँ , चौपाल , चरवाहें
खूँटे से बंधे चौपायों पर
एक कविता लिखना चाहता हूँ
इस आपाधापी से बचना चाहता हूँ
आम , इमली , नीम , खाखरा
गुलाब , चम्पा , चमेली , गेंदा
रातरानी और मोगरा लिखना चाहता हूँ
एक कविता लिखना चाहता हूँ
इस आपाधापी से बचना चाहता हूँ
पनघट ,खेत , खलिहान ,काक भगोड़ा
सरसो , ज्वार , तुलसी , मूँग , बाजरा
गेहूँ , मक्का ,अलसी लिखना चाहता हूँ
एक कविता लिखना चाहता हूँ
इस आपाधापी से बचना चाहता हूँ

.
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 609

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 20, 2017 at 3:41pm

आदरणीय आरिफ जी ..इस रचना के लिए हार्दिक बधाई ..आदरणीय मिथिलेश जी के मशविरे से मैं भी इत्तेफाक रखता हूँ सादर

Comment by Mohammed Arif on January 18, 2017 at 4:33pm
आदरणीय सुरेंद्रनाथजी, आपको रचना पसंद आई मेरा लेखन सार्थक हुआ । बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on January 18, 2017 at 4:30pm
आदरणीय समर कबीर साहब, बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on January 18, 2017 at 4:28pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकरजी, आपकी सलाह मुझे शिरोधार्य है ।आगामी रचनाओं में ध्यान रखूँगा ।
Comment by Samar kabeer on January 18, 2017 at 3:34pm
जनाब आरिफ़ जी आदाब,अच्छी लगी आपकी कविता,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
जनाब मिथिलेश जी की बात पर ध्यान अवश्य दें ।
Comment by नाथ सोनांचली on January 18, 2017 at 1:16pm
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, कवि मन की क्या क्या कल्पना हो सकती है , इन पंक्तियो से
पनघट ,खेत , खलिहान ,काक भगोड़ा
सरसो , ज्वार , तुलसी , मूँग , बाजरा
गेहूँ , मक्का ,अलसी लिखना चाहता हूँ

आपने कितनी खूबसूरती से बताया हैं। हार्दिक बधाई निवेदित है, इस खूबसूरत रचना पर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 18, 2017 at 12:10pm

आदरणीय आरिफ़ जी, इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. यह भी अवश्य है कि आपने पंक्तियों के दोहराव से टेक लगाने का प्रयास किया है यानी गीत के प्रारूप में अतुकांत. आप दोनों में से किसी एक विधा को चुनते तो कविता प्रभावशाली बन जाती है. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
45 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
48 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
51 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
56 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service