For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद बोला चाँदनी, चौथा पहर होने को है.

चाँद बोला चाँदनी, चौथा पहर होने को है.

चल समेटें बिस्तरे वक्ते सहर होने को है.

चल यहाँ से दूर चलते हैं सनम माहे-जबीं.

इस जमीं पर अब न अपना तो गुजर होने को है.

है रिजर्वेशन अजल, हर सम्त जिसकी चाह है.

ऐसा लगता है कि किस्सा मुख़्तसर होने को है.

गर सियासत ने न समझा दर्द जनता का तो फिर.

हाथ में हर एक के तेगो-तबर होने को है.

जो निहायत ही मलाहत से फ़साहत जानता.

ना सराहत की उसे कोई कसर होने को है.

है शिकायत , कीजिये लेकिन हिदायत है सुनो.

जो कबाहत की किसी ने तो खतर होने को है.

पाके नेमत जो निज़ामत की सख़ावत छोड़ दे.

वो मलामत ओ बगावत की नजर होने को है.

शान 'हिन्दुस्तान' की कोई मिटा सकता नहीं.

सरफ़रोशों की न जब कोई कसर होने को है.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 645

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' on February 3, 2017 at 12:33pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , आपका हार्दिक धन्यवाद...आपके सुझाव पर भविष्य में पूरा अमल होगा..

Comment by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' on February 3, 2017 at 12:27pm

भाई बृजेश कुमार जी ब्रज साहब , आपका हार्दिक आभार...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 3, 2017 at 10:09am

आदरणीय गंगा धर भाई , बहुत खूब सूरत ग़ज़ल कही है  , दिल से बधाइयाँ प्रेसित कर रहा हूँ स्वीकार कीजिये । कुछ अप्रचलित ऊर्दू  के शब्द हों  तो अर्थ दे दिया कीजिये ..  पाठकों की सहूलियत के लिये ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 1, 2017 at 9:20pm
बेहद शानदार ग़ज़ल हुई आदरणीय...
Comment by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' on February 1, 2017 at 12:18am

आदरणीय शिज्जु जी प्रणाम ! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद....ग़ज़ल ओ.बी.ओ. मंच पर प्रथमतः प्रकाशित है.....हाँ! है अवश्य ही मुशायरे वाली ही .....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 31, 2017 at 9:08pm
आ. गंगाधर जी अच्छी रचना हुई है। मुआफ़ी चाहूँगा मुशायरे में आपकी ग़ज़ल से गुज़र नहीं पाया था। बधाई स्वीकार करें। ये मुशायरे वाली ग़ज़ल ही है तो फिर अप्रकाशित नहीं रही। हालाँकि ग़ज़ल अच्छी है उसके लिए बधाई
Comment by Samar kabeer on January 31, 2017 at 2:10pm
वहाँ मैं आपका जवाब नहीं पढ़ स्का इसका खेद है,मेरे कहे को मान देने के लिये धन्यवाद ।
Comment by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' on January 31, 2017 at 11:06am
मोहतरम जनाब कबीर साहब आदाब, आपकी इस्लाह के मुताबिक सातवें सैर के उला मिसरे को तब्दील कर दिया है...आपके लिखे अल्फाज़ मेरे लिए खुद किसी नेमत से बढ़कर हैं..मैंने तरही मुशायरे में आपकी इस्लाह के जवाब में नियामत और पा का इस्तेमाल करने की वजह दी थी..आपकी तरफ से कुछ और न कहा जाने को मैंने आपकी मंजूरी जान कर उसमें बदलाव नहीं किया था..आपने फिर समय निकाल कर इस्लाह की इसके लिए मम्नून हूँ.....
Comment by Samar kabeer on January 30, 2017 at 10:30pm
जनाब गंगाधर शर्मा'हिंदुस्तान'जी आदाब,आपने तरही मुशायरे की ग़ज़ल यहाँ पोस्ट कर दी ?
तरही मुशायरे में भी आपसे निवेदन किया था,आपने उस पर ध्यान नहीं दिया,ऐक बार फिर अर्ज़ करता हूँ,सातवें शैर में 'नियामत'कोई शब्द ही नहीं है,सही शब्द है "नेमत" और दूसरी बात,'पा'शब्द का अर्थ उर्दू में 'पाँव'होता है,आपका मिसरा यूँ कह सकते हैं :-
"पाके नेमत जो निज़ामत की सख़ावत छोड़ दे"

हाँ,अगर आपको अपनी ग़ज़ल पर इस्लाह पसन्द नहीं तो बता दीजिये? मैं अपना समय बर्बाद नहीं करूँगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
33 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
36 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
54 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Prem Chand Gupta जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। कृपया नुक़्तों का विशेष ध्यान रखें…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"कू-ब-कू है ख़बर, हुआ क्या हैपर ये अख़बार ने लिखा क्या है । 1 जो परिंदे क़फ़स में जीते हैंउनको मालूम है…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी आदाब, "मौन है बीच में हम दोनों के"... मिसरा बह्र में नहीं…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। बेवफ़ाई ये मसअला…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service