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जुबाँ पर वो नहीं चढ़ता मनन उसका नहीं होता
जो बाँटा खौफ करता हो भजन उसका नहीं होता।1।
जो करता बात जयचंदी वतन उसका नहीं होता
जिसे हो प्यार पतझड़ से चमन उसका नहीं होता।2।
जिसे लालच हो कुर्सी का जो करता दोगली बातें
वतन हित में कभी लोगों कथन उसका नहीं होता।3।
गगन उसका हुआ करता जो दे परवाज का साहस
जो काटे पंख औरों के गगन उसका नहीं होता।4।
समर्पण माँगता है प्यार निश्छल भाव वाला बस
नजर हो सिर्फ दौलत पर सजन उसका नहीं होता।5।
बचा है खोट से जबतक तभी तक वो भी सिक्का है
कभी गर खोट आ जाए चलन उसका नहीं होता।6।
मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’
Comment
आ. भुवन भाई जी उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद .
आ. भाई आरिफ जी उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद .
आ० भाई समीर जी . हार्दिक अभिनन्दन . ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन के लिए आभार . मार्गदर्शन करते रहिये .
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