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ललक दिल को रिझाने की -लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’ (ग़ज़ल)

ग़ज़ल


1222 1222 1222 1222

ललक दिल को रिझाने की जो खूनी हो गई होगी
किसी का सुख किसी की पीर दूनी हो गई होगी।1।

सभी के हाथ में गुल हैं यहाँ जुल्फें सजाने को
न जाने किस चमन की शाख सूनी हो गई होगी।2।

हवा बंदिश की सुनते हैं बहुत शोलों को भड़काए
मुहब्बत यार कमसिन की जुनूनी हो गई होगी।3।

हमें तो सुख रजाई का मिला है शीत में यारो
किसी जंगल में फिर से तेज धूनी हो गई होगी।4।

नहीं उसको शिकायत कुछ सुना है यार किस्मत से
गरीबी  से  भी  वो  शायद  सुकूनी  हो  गई  होगी।5।

बहाए उसने आँसू हों कि पोंछा हो पसीना यूँ
मगर तासीर दामन की तो नूनी हो गई होगी।6।

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 18, 2017 at 12:13pm

आ. भाई आषुतोश जी ,  गजल पर उपस्थिति  लिए हार्दिक आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 18, 2017 at 12:11pm

आ. भाई बसंत जी ,  गजल की  प्रशंसा के लिए हार्दिक  आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 18, 2017 at 12:10pm

आ. भाई बृजेश जी ,  गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 8, 2017 at 8:11pm

आदरनीय लक्ष्मण भाई , खूबसूरत गज़ल के लिये दिल से बधाइयाँ प्रेषित हैं , स्वीकार करें । मै भी आदरणीय अनुराग भाई की बात से सहमत हूँ ... नूनी -- पहलू ए जम की की स्थिति बना रही है ... ये सही है ।

Comment by Ravi Shukla on May 8, 2017 at 9:29am

आदरणीय नीलेश जी हमारा अनुमान है कि नून (नमक) से नूनी ( नमकीन) बना कर इस्‍तेमाल किया गया है कितना सही है ये तो आदरणीय लक्ष्‍मण जी ही बता सकते है पर क्षमा सहित निवेदन है कि इस काफिये में श्‍ेारीयत का अभाव लगा । सादर

Comment by Ravi Shukla on May 8, 2017 at 9:28am

आदरणीय लक्ष्मण जी बढि़या गजल । शे'र शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए

सभी के हाथ में गुल हैं यहाँ जुल्फें सजाने को
न जाने किस चमन की शाख सूनी हो गई होगी।  तस्‍वीर का दूसरा रुख भी आपने दिखा दिया । वाह

Comment by Mohammed Arif on May 8, 2017 at 8:33am
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब, लाजवाब ग़ज़ल । शे'र शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन कह चुके हैं ।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 8, 2017 at 8:12am

आ. लक्ष्मण जी,

ग़ज़ल के  लिये बधाई ..
नूनी    का अर्थ मैं भी जानना चाहूँगा 
सादर 

Comment by Samar kabeer on May 7, 2017 at 10:12pm
जनाब लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'जी आदाब,बहुत दिन बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ने का मौक़ा मिला ।
उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
आख़री शैर में 'नूनी'शब्द का अर्थ क्या है ?
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 7, 2017 at 9:49pm
बहुत उम्दा ग़ज़ल हुयी है आदरणीय भाई लक्ष्मण जी हार्दिक बधाई स्वीकार करें

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"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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