सीढ़ियाँ – लघुकथा -
"सर, यह क्या सुन रही हूँ।आप तो डाइरेक्टर बनने वाले थे।मगर आप को जी एम से डिमोट कर के मैनेजर बना दिया"।
"यह सब तुम्हारी वज़ह से हुआ है लीला", वर्मा जी अपनी सैक्रेटरी पर झल्ला पड़े।
"सर, मैंने क्या किया। मैं तो सदैव वही करती रही हूं, जो आप कहते रहे हो"।
"पर इस बार नहीं किया ना,मैंने तुम्हें शनिवार को सी एम डी के बंगले पर जाने को कहा था"।
"सर, मैंने सुना था कि नया सी एम डी बहुत खड़ूस है।मैं डर गयी थी।पर आपने मेरी जगह दूसरी लड़की भेज दी थी ना"।
"भेजी थी, पर उसने सब पोल खोल दी । उसे सी एम डी ने भगा दिया। मुझे फोन पर सी एम डी ने कहा,"मि० वर्मा, मैं वह सीढ़ी देखना चाहता था, जिसका इस्तैमाल करके आप एक मामूली सुपरवाइजर से जी एम बने। बाज़ारू लड़की तो मैं खुद भी मंगा सकता हूँ।"।
"अब क्या होगा सर"।
"अब कर्म फल भोगने के लिये तैयार रहो।जैसे सीढ़ियों का उपयोग उन्नति देता है , वैसे ही इनका दुरुपयोग पतन की ओर भी ले जा सकता है"।
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।आप इस तरह मुझे शर्मिंदा न करें।हमारे आपके बीच जो प्यार का रिश्ता है, उसमें ये बातें कोई मायने नहीं रखती हैं कि आप मुझे किस संबोधन से बुलाते हैं।सादर।
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिबआदाब , कॉमेंट पोस्ट करने के बाद ध्यान गया कि कुछ
ग़लती हो गयी , फ़ौरन ही मैं ने उसे डी लिट कर दिया , कभी कभी अंजान ग़लती भी
कितनी अच्छी हो जाती है , " शेख " का मतलब मुर्शिद और पेश्वा भी होता है , मुहतरम
तेज वीर साहिब मेरे लिए बहुत आदरणीय हैं , अगर ग़लती है तो माफी चाहता हूँ -- शुक्रिया ---
हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी।आप लघुकथा के मूल भाव को समझ पाये, और उसका समुचित विश्लेषण किया ।पुनः आभार।
आज कल ये सीढियां माहौल खराब कर रही हैं जिनमे योग्यता व् स्वाभिमान नही है वही इनका इस्तेमाल करता है और फिर पतन के गर्त में भी जल्दी ही गिरता है ऐसी व्यवस्था पर कटाक्ष करती बेहतरीन लघु कथा बहुत बहुत बधाई आद० तेजवीर सिंह जी
हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी।आपका लघुकथा पर आना ही एक सुखद अनुभूति है।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी, क्या पंचलाइन //जैसे सीढ़ियों का उपयोग उन्नति देता है , वैसे ही इनका दुरुपयोग पतन की ओर भी ले जा सकता है"।// लघुकथा के साथ फिट बैठ गयी है? मैं इस लघुकथा से ख़ुद को जोड़ नहीं पा रहा हूँ. बहरहाल इस प्रस्तुति हेतु बधाई. सादर
हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।यह प्यार सदैव ऐसे ही बना रहना चाहिये। आदाब।
हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी। आदरणीय तस्दीक अहमद साहब,आप मुझे प्यार से कुछ भी बुलायें, मुझे अच्छा लगेगा।आपके दिल में मेरे लिये बहुत प्यार है।
हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब।आपकी शुभ कामनाओं का सदैव इंतज़ार रहता है।समर क़बीर साहब, मुझे किसी के कुछ भी संबोधन से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता बशर्ते उसमें प्यार शामिल हो। आदरणीय तस्दीक अहमद साहब मुझे प्यार से कुछ भी बुलायें, मुझे अच्छा लगेगा।उनके दिल में मेरे लिये बहुत प्यार है।
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