For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- नवजीवन की आशा हूँ

22 22 22 2


नवजीवन की आशा हूँ।
दीप शिखा सा जलता हूँ।।

रक्त स्वेद सम्मिश्रण से।
लक्ष्य सुहाने गढ़ता हूँ।।

जीवन के दुर्गम पथ पर।
अनथक चलता रहता हूँ।।

प्रभु पर रख विश्वास अटल।
बाधाओं से लड़ता हूँ।।

घोर तिमिर के मस्तक पर।
अरुणोदय की आभा हूँ।।

भावों का सम्प्रेषण मैं।
शंखनाद हूँ कविता हूँ।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 740

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on February 9, 2017 at 9:22pm
आदरणीय पवन मिश्र जी, सुन्दर भावों से सजी इस बेहद खूबसूरत रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आपको

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 8, 2017 at 3:55pm

आदरणीय पवन जी, छोटी बह्र में बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आपने. शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 

Comment by डॉ पवन मिश्र on February 7, 2017 at 3:59pm

आद. समर साहब, तहे दिल से शुक्रिया। मूल में सुधार कर् लिया है। पुनः आभार

Comment by डॉ पवन मिश्र on February 7, 2017 at 3:58pm

जनाब मोहम्मद आरिफ साहिब, बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Samar kabeer on February 6, 2017 at 6:11pm
जनाब डॉ.पवन मिश्र साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबफ पेश करता हूँ ।
चौथे शैर के ऊला में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये,'पर रख' ।
Comment by Mohammed Arif on February 6, 2017 at 5:44pm
आदरणीय पवन मिश्र जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल के लिए दिली मुबारक़बाद क़ुबूल करें ।
Comment by डॉ पवन मिश्र on February 6, 2017 at 7:10am

आद. दिनेश कुमार 'दानिश' जी, पंक्तियां आप तक पँहुची,,,लिखना सार्थक हुआ। आभार आपका

Comment by डॉ पवन मिश्र on February 6, 2017 at 7:08am

आद. सतविंद्र कुमार राणा जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपको

Comment by डॉ पवन मिश्र on February 6, 2017 at 7:07am

आद. सौरभ जी, आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिये हृदयतल से आभार।

Comment by दिनेश कुमार on February 6, 2017 at 7:02am
घोर तिमिर के मस्तक पर।
अरुणोदय की आभा हूँ।।
उम्दा ग़ज़ल। वाह वाह। डॉ साहब। बहुत खूब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service