अब तो आओ कृष्ण धरा ये थर्राती है।
लुटने को है लाज द्रौपदी चिल्लाती है।।
द्युत क्रीड़ा में व्यस्त युधिष्ठिर खोया है,
अर्जुन का गांडीव अभी तक सोया है।
दुर्योधन निर्द्वन्द हुआ है फिर देखो,
दुःशासन को शर्म तनिक ना आती है।।
लुटने को है लाज द्रौपदी चिल्लाती है।।
धधक रही मानवता की धू धू होली,
विचरण करती गिद्धों की वहशी टोली।
नारी का सम्मान नहीं अब आँखों में,
भीष्म मौन फिर गांधारी सकुचाती है।।
लुटने को है लाज द्रौपदी चिल्लाती…
Added by डॉ पवन मिश्र on December 11, 2017 at 8:30pm — 15 Comments
आज फिर उसने कुछ कहा मुझसे।
आज फिर उसने कुछ सुना मुझसे।।
बाद मुद्दत के आज बिफ़रा था।
आज दिल खोल कर लड़ा मुझसे।।
जिसकी क़ुर्बत में शाम कटनी थी।
हो गया था वही ख़फ़ा मुझसे।।
दूर दिल से हुए सभी शिकवे।
टूट कर ऐसे वो मिला मुझसे।।
दरमियाँ है फ़क़त मुहब्बत ही।
अब कोई भी नहीं गिला मुझसे।।
चांद तारे या वो फ़लक सारा।
बोल क्या चाहिए ? बता मुझसे।।
क़ुर्बत= सामीप्य
फ़लक=…
Added by डॉ पवन मिश्र on December 3, 2017 at 1:30pm — 16 Comments
22 22 22 2
नवजीवन की आशा हूँ।
दीप शिखा सा जलता हूँ।।
रक्त स्वेद सम्मिश्रण से।
लक्ष्य सुहाने गढ़ता हूँ।।
जीवन के दुर्गम पथ पर।
अनथक चलता रहता हूँ।।
प्रभु पर रख विश्वास अटल।
बाधाओं से लड़ता हूँ।।
घोर तिमिर के मस्तक पर।
अरुणोदय की आभा हूँ।।
भावों का सम्प्रेषण मैं।
शंखनाद हूँ कविता हूँ।।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Added by डॉ पवन मिश्र on February 5, 2017 at 6:58pm — 12 Comments
अँगड़ाई ले रही प्रात है,
कुहरे की चादर को ताने।
ओढ़ रजाई पड़े रहो सब,
आया जाड़ा हाड़ कँपाने।।
तपन धरा की शान्त हो गयी,
धूप न जाने कहाँ खो गयी।
जिन रवि किरणों से डरते थे,
लपट देख आहें भरते थे।
भरी दुपहरी तन जलता था,
बड़ी मिन्नतों दिन ढलता था।
लेकिन देखो बदली ऋतु तो,
आज वही रवि लगा सुहाने।
आया जाड़ा हाड़ कँपाने।।
गमझा भूले मफ़लर लाये,
हाथों में दस्ताने आये।
स्वेटर टोपी जूता मोजा,
हर आँखों ने इनको…
Added by डॉ पवन मिश्र on January 22, 2017 at 8:30pm — 11 Comments
2122 2122 212
रोज करता खेल शह औ मात का।
रहनुमा पक्का नहीं अब बात का।।
कब पलट कर छेद डाले थालियाँ।
कुछ भरोसा है नहीं इस जात का।।
पत्थरों के शह्र में हम आ गए।
मोल कुछ भी है नहीं जज़्बात का।।
ख्वाहिशें जब रौंदनी ही थी तुम्हे।
क्यूँ दिखाया ख़्वाब महकी रात का।।
इंकलाबी हौसलें क्यों छोड़ दें।
अंत होगा ही कभी ज़ुल्मात का।।
मेंढकों थोड़ा अदब तो सीख लो।
क्या भरोसा…
ContinueAdded by डॉ पवन मिश्र on January 16, 2017 at 9:34pm — 17 Comments
नापाक इरादों को लेकर, श्वान घुसे फिर घाटी में।
रक्त लगा घुलने फिर देखो, केसर वाली माटी में ।।
सूनी फिर से कोख हुई है, माँ ने शावक खोये हैं।
चीख रही हैं बहिनें फिर से, बच्चे फिर से रोये हैं।१।
सिसक रही है पूरी घाटी, दिल्ली में मंथन जारी।
प्रत्युत्तर में निंदा देते, क्यूँ है इतनी लाचारी।।
अंदर से हम मरे हुए हैं, पर बाहर से जिन्दा हैं।
माफ़ करो हे भारत पुत्रों, आज बहुत शर्मिंदा हैं।२।
वो नापाक नहीं सुधरेंगे, कब ये दिल्ली…
ContinueAdded by डॉ पवन मिश्र on September 19, 2016 at 3:30pm — 7 Comments
Added by डॉ पवन मिश्र on September 18, 2016 at 9:55am — 14 Comments
हिन्दी तो अनमोल है, मीठी सुगढ़ सुजान।
देवतुल्य पूजन करो, मात-पिता सम मान।।
मात-पिता सम मान, करो इसकी सब सेवा।
मिले मधुर परिणाम, कि जैसे फल औ मेवा।।
कहे पवन ये बात, सुहागन की ये बिन्दी।
इतराता साहित्य, अगर भाषा हो हिन्दी।१।
दुर्दिन जो हैं दिख रहे, इनके कारण कौन।
सबकी मति है हर गई, सब ठाढ़े हैं मौन।।
सब ठाढ़े हैं मौन, बांध हाथों को अपने।
चमत्कार की आस, देखते दिन में सपने।।
सुनो पवन की बात, प्रीत ना होती उर बिन।
होती सच्ची चाह, न…
Added by डॉ पवन मिश्र on September 14, 2016 at 9:30pm — 13 Comments
212 212 212 212
वो कहें लाख चाहे ये सरकार है।
मैं कहूँ चापलूसों का दरबार है।।
मेरी लानत मिले रहनुमाओं को उन।
देश ही बेचना जिनका व्यापार है।।
कौम की खाद है वोट की फ़स्ल में।
और कहते उन्हें मुल्क़ से प्यार है।।
सब चुनावी गणित नोट से हल किये।
जीत तो वो गये देश की हार है।।
चट्टे बट्टे सभी एक ही थाल के।
बस सियासत ही है झूठी तकरार है।।
अब बयां क्या करे इस चमन को पवन।
शाख़ पर उल्लुओं की तो…
Added by डॉ पवन मिश्र on September 9, 2016 at 9:02pm — 6 Comments
2122 2122 212
इश्क़ की राहों में हैं रुसवाईयाँ।
हैं खड़ी हर मोड़ पर तन्हाईयाँ।।
क्या करे तन्हा बशर फिर धूप में।
साथ उसके गर न हो परछाइयाँ।।
ऐ खवातीनों सुनों मेरा कहा।
क्यूँ जलाती हो दिखा अँगड़ाइयाँ।।
चाहता हूं डूबना आगोश में।
ऐ समंदर तू दिखा गहराइयाँ।।
दिल दिवाने का दुखा, किसको ख़बर ?
रात भर बजती रही शहनाइयाँ।।
तुम गये तो जिंदगी तारीक है।
हो गयी दुश्मन सी अब रानाइयाँ।।
दूर…
ContinueAdded by डॉ पवन मिश्र on September 1, 2016 at 9:54pm — 6 Comments
Added by डॉ पवन मिश्र on June 4, 2016 at 5:30am — 10 Comments
Added by डॉ पवन मिश्र on May 25, 2016 at 12:12am — 11 Comments
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