सुबह-सुबह कॉलेज जाने की तैयारी कर ही रही थी कि ऊपर वाली चाची की सीढ़ियों से उतरने की धमक के साथ ही उनकी आवाज सुनाई दी – "ए नीलम, सुनलू ह· कि ना, कमली म·र गइल ।" मुझे थोड़ा गुस्सा भी आया पर संस्कारगत आदत के मारे कुछ जतला नहीं पायी । इतना तो समझ आ ही गया कि अब आज का पहला पीरियड अटेण्ड नहीं कर पाऊँगी । अब चाची आ ही गयी हैं तो थोड़ा बैठना ही ठीक होगा और मैंने उन्हें बैठा कर झट पानी का ग्लास पकड़ाया ।
कालोनी में बने दो मंज़िला मकान कि निचली मंजिल पर हम रहा करते थे । ऊपर वाली मंजिल में पांडे चाचा रहा करते थे जिनकी पत्नी को हम चाची कहते । चाची हमारे ब्लॉक की खबरी हुआ करती थीं । उनके पास सभी खबरों कि अपडेट रहा करती जिसकी मैं एकमात्र श्रोता हुआ करती क्योंकि चाची को भोजपुरी के अलावा और कोई भाषा बोलने नहीं आती थीं। कमली हमारे ब्लॉक की सफाई वाली थी और उसका काम हर फ्लैट से रोज कूड़ा उठा कर ले जाना था । पर कमली हर महीने दस से बारह दिन काम से गायब ही रहती । जाहीर सी बात है, उसके गायब रहने से हर घर में कूड़े का जमाव हो जाता और जब कमली आती तो तो हर घर से ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने और शोर शराबे की आवाज देर तक आती रहती थी । लेकिन इन सब बातों का कमली की दिनचर्या पर कोई असर हो रहा हो, ऐसा कभी लगा नहीं ।
अचानक कमली लंबे समय के लिए गायब हो गयी । हफ्ते-दस दिनों तक उसका इंतजार करके सब ने दूसरी सफाई वाली रख ली । ये दूसरी सफाई वाली भी गायब तो रहती थी पर कमली जितना नागा नहीं करती इस लिए मामला शांति से चल रहा था । लगभग दो-ढाई महीने के बाद फिर एक दिन शोर शराबा होने लगा । पता चला कमली की माँ कमली को काम पर वापस लेकर आ गई थी । लेकिन दूसरी सफाई वाली को काम पर देख कर उसके साथ झगड़ा कर रही थी । उसका तर्क था की अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे काम से हटाना कहाँ का न्याय है । आनमनी सी कमली बेहद कमजोर सी लग रही थी चेहरे पर पीलापन साफ झलक रहा था । झगड़े में बीच बचाव करने के लिए चाची को ही आगे आना पड़ा । यह तय हुआ कि कमली पूरी तरह स्वस्थ्य लाभ कर ले फिर एक दो महीने बाद ही काम पर वापस आए । इस बात पर कमली कि माँ मान गयी और कमली को लेकर वापस चली गयी ।
लेकिन कमली वापस नहीं आई । उसके जाने के दो हफ्ते के बाद ही कमली की खबर आ गयी । उसकी माँ ने चाची को बताया कि कमली को "बयार' लग गयी थी । उसने बहुत पैसे खर्च किए । चढ़ावे में काला सूअर भी दिया । लेकिन बयार कमली को लेकर ही गयी । बाद में पता चला कमली पीलिया रोग से गंभीर रूप से ग्रस्त थी और उसका लिवर फ़ेल हो गया । कमली की माँ डाक्टरों से इलाज करने की बाजाए "बयार उतारने" वालों को खुश करने में लगी थी ताकि कमली पर से "बयार" का साया उतार सके।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय उसमानी जी, उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार । आपका मार्गदर्शन अपेक्षित है ।
आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी, बहुत बहुत आभार ।
आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, बहुत बहुत आभार ।
अभी भी हमारे देश में इस तरह के अंधविश्वास जीवित हैं जो हमारे विकास के दावों पर बडा प्रश्न चिन्ह हैं ..हार्दिक बधाई इस रचना के लिए आपको आदरणीया नीलम उपाध्याय जी
आदरणीय राजेश कुमारी जी, रचना पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार । आगे भी कोशिश जारी रखने के लिए आपके मार्गदर्शन की आकांक्षा रहेगी । हार्दिक धन्यवाद ।
आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी, उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार । आगामी कोशिश पर भी आपके उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन की आकांक्षा रहेगी । हार्दिक धन्यवाद ।
न जाने कितनी कमली आज भी इन अंधविश्वासों की भेंट चढ़ जाती हैं .एक अच्छे विषय पर बहुत अच्छी लघु कथा जिसका सन्देश पूर्णतः स्पष्ट है .बहुत बहुत बधाई आद० नीलम जी .
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