बे-आवाज़ ....
कहां होती है
रिश्ते के
टूटने की
आवाज़
बस
सिसकता है
देर तक
रुखसारों की ढलानों पर
खारी लकीरों पर
सोया
सोज़ में डूबा
बीते लम्हों का
इक साज़
बे-आवाज़
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार।
आदरणीय सुशील भाई , बहुत सुन्दर कविता रची है , हार्दिक बधाइयाँ ।
आदरणीय narendrasinh chauhan जी रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार।
लाजवाब
आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार।
आदरणीय Mohammed Arif जी रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार।
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी बन्दे को इतना मान देने के लिए मैं आपका दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। रचना के भावों को अपने स्नेह से पल्लवित करने का हार्दिक आभार।
आदरणीय Mahendra Kumar जी रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार।
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