For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ताले-चाबी वाले (लघुकथा) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी

रेल यात्रियों में से एक ताले-चाबी वाला कारीगर भी था, सो चल पड़ी चर्चा 'तालों' और 'चाबियों' की, नाना-प्रकार की 'तिजोरियों, सूटकेसों और अलमारियों'' की और कारगर विभिन्न प्रकार की 'चाबियों' की!

"तुम्हारी तो चाँदी है, हर ताला खोलने की असली जैसी नकली चाबी बना लेते होगे!" एक यात्री ने उस ताले-चाबी वाले से पूछा।

"हमारी रसोई का ही ताला खोलती हैं हमारी बनायी ये चाबियाँ जनाब, धंधे में अंधे होकर हम नाजायज़ काम नहीं करते!" उसने जवाब दिया ही था कि दूसरा यात्री बोल पड़ा- "सही कह रहा है वह! बात तो उनकी करिये जो सरकारी ख़ज़ानों, देश की सम्पत्ति और सम्पदा पर 'ताले' लगाते हैं और फिर अपनी 'चाबियों' से ही उन्हें समय-समय पर खोलकर लूटते रहते हैं! ग़रीबों के पेट पर 'ताले' लगाते हैं!"

पास ही बैठा एक मुरझाये से चेहरे वाला यात्री बोला- "पेट पर ताले ही नहीं लगाते साहब.... लोग तो हमारी इज़्ज़त-आबरू वाले ताले 'तोड़ते' भी हैं, न उमर देखते और न ही धरम! चाबी नई हो, पुरानी हो, या भले ही जंग लगी हुई हो, चोले उतारकर लोग काम पर लगा देते हैं!"

थोड़ी देर के लिए वहां सन्नाटा सा छा गया। एक सहयात्री की नज़र अखबार में छपी बाल-यौन-शोषण के समाचार पर ठहर गई।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 639

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 1, 2017 at 3:33pm
हौसला अफ़जा़ई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय नीता कसार जी व आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 1, 2017 at 3:24pm

आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Nita Kasar on March 1, 2017 at 6:41am
बड़ी बेबाकी से आपने आज की व्यथा उकेर कर रखी है ।वाकई आज समाज में व्याप्त जवंलंत समस्या है बधाई आपको आद० शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 28, 2017 at 6:37am
मेरे इस प्रयास को पसंद करने, अनुमोदन व प्रोत्साहन देने के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी , जनाब मोहम्मद आरिफ साहब व जनाब डॉ. आशुतोष मिश्रा जी।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 26, 2017 at 10:31pm

क्या बात सर! गजब .

//पास ही बैठा एक मुरझाये से चेहरे वाला यात्री बोला- "पेट पर ताले ही नहीं लगाते साहब.... लोग तो हमारी इज़्ज़त-आबरू वाले ताले 'तोड़ते' भी हैं, न उमर देखते और न ही धरम! चाबी नई हो, पुरानी हो, या भले ही जंग लगी हुई हो, चोले उतारकर लोग काम पर लगा देते हैं!"//

सत्य वचन.

बधाई स्वीकार करें

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 26, 2017 at 3:48pm
आदरणीय शेख जी आप इतने कम शब्दों में अपनी बात कह देते है बिलकुल गागर में सागर की तरह हतप्रभ रह जाता हूँ समाज के इस दुखद पहलू पर मानवीय सम्बदना जगाने का आपका यह प्रयास पूर्णतया सार्थक है ढेर सारी बधाई के साथ सादर
Comment by Mohammed Arif on February 26, 2017 at 9:28am
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,व्यंग्यपूर्ण लघुकथा बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service