For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पर्दा(लघुकथा)राहिला

मंदिर के पीछे मिले लावारिस नवजात शिशु को लेकर आज पंचायत जुटी थी। पंचायत ने अपने स्तर से बहुत पड़ताल की, परन्तु कोई सुराग हाथ नहीं लगा। कोई कह रहा था, ‘छोरी तो बहुतेरी मिलीं लावारिस, लेकिन आज ये छोरा?’ किसी ने कहा, ‘ खूब जान पड़ता है, जरूर नाजायज रहा होगा।’ जितने मुँह उतनी बातें। अब पंचायत चाहती थी कि यदि कोई दम्पति बच्चे को गोद लेना चाहे तो मामला यहीं निपट जाए। वर्ना बच्चा पुलिस को तो सौंपना ही था।
"सरपंच जी ! मैं और मेरी घरवाली यशोदा इस बच्चे को गोद लेना चाहे हैं।"
पंचों को प्रणाम कर,किशन ने खड़े होकर अपनी मंशा रखी।
"अरे किशन ! तू कब आया शहर से ? ये तो बहुत अच्छी बात है तू और तेरी घरवाली इस बात के लिए राज़ी हैं।" निःसंतान किशन को आगे आया देख सरपंच खुश होकर बोले।
"कल रात ही आया सरपंच साहब! अब इसे संयोग ही कह लें। होली पर आता मगर फैक्ट्री के काम से इस ओर आना हुआ तो सोचा एकाध दिन घर रूकता चलूँ।"
"बहुत बढ़िया किया ! भगवान् ने शायद तेरे भाग्य से ही इस छोरे को यहाँ भेजा है।" कह कर वह उपस्थित अन्य पंचों से कुछ सलाह मशवरा करने लगे।
और अंततः फिर बोले, " तो हो गया फैसला ये छोरा पंचायत के हवाले से किशनलाल और उसकी पत्नि यशोदा को सौंपा जाता है। आओ और सम्हालो !"
यशोदा ने तुरंत आगे बढ़कर बच्चे को अपने आँचल में भर लिया। फिर कुछ कागज़ी कार्यवाही के बाद वे दोनों बच्चे को घर ले आये।
बच्चा भूखा था शायद इसलिए दम नहीं ले रहा था। यशोदा किशन को पौर में छोड़, बच्चे को ले अटारी में आ गयी। बच्चा अपनी अविवाहित ननद की गोद में डाल कर बोली, ‘‘ले सम्हाल इसे ये भूखा है। सूनी गोद तो मेरी भर गई है, पर अंश तो तेरा ही है यह।" सहमी हुई सगुना कभी अपनी भाभी को देख रही थी तो कभी अपने नवजात को।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on March 8, 2017 at 8:47pm
बहुत बढ़िया संदेश देती लघुकथा लिखी है आपने आ. राहिला जी। हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by Nita Kasar on March 7, 2017 at 2:48pm
पर्दे की ओट में भाभी नन्द के रिश्ते को ख़ूबसूरती से व्यक्त करती बढ़िया कथा है दिली बधाई प्रिय राहिला जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on March 6, 2017 at 7:25pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राहिला जी।वाह, क्या बेहतरीन विषय चुना है और उसे बड़ी कुशलता से निभाया है।बहुत शानदार लघुकथा।

Comment by Mohammed Arif on March 6, 2017 at 7:08pm
आदरणीया राहिला जी आदाब,बहुत अच्छी लघुकथा । नादानी हो जाती है मगर साहस कोई नहीं दिखाता है । आपकी यशोदा ने साहसिक क़दम उठाकर अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है । बधाई क़ुबूल करें ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 6, 2017 at 4:25pm

आदरणीया राहिला जी ..आपकी यह लघु कथा अब तक आपकी सर्वाधिक प्रिय लघुकथाओं में से एक है / कमाल की सोच है इस सोच के लिए हार्दिक बधाई सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
2 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
18 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
18 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service