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आदरनीय वासुदेव भाई , अच्छी गज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें । आदरनीय समर भाई जी की बातों का ख्याल कीजियेगा । एक बात और --
मिला कन्धा तुम्हारे संग डटेंगे जो भी हो जाए -- ये मिसरा भी आपका बे बहर है -- आपने , संग को 2 मात्रिक माना है जबकि इसे 21 में बान्धना चाहिये था -- अनुस्वार वाले व्यंजन को 2 लिया जाता है -- जैसे रंग - रं = 2, ग =1 ।
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