For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दशा और दिशा [लघुकथा] /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"कहता था न कि अच्छा साहित्य पढ़ा करो, अच्छी वेबसाइट पर ही जाया करो, वरना भटकने में देर नहीं लगती!"

"सबकी नज़र में 'अच्छा' एक जैसा हो, ज़रूरी तो नहीं? मेरी नज़र में यही सब 'अच्छा' था!" दोस्त की बात का जवाब देते हुए उसने सारी पर्चियां टेबल पर फैला दीं।

"तुम लड़कियों और औरतों के जितने नज़दीक़ गये, उतने ही औरत जात से दूर होते गये, क्या मिला तुम्हें?"

पर्चियां फिर से काँच के जार में डालते हुए दोस्त की बात का जवाब देते हुए उसने कहा- "जो नम्बर इन पर्चियों में लिखे हैं न, वे मेरी पसंद की अविवाहित और विवाहित महिलाओं या लड़कियों के एलबम नम्बर हैं!"

"कॉल-गर्ल्स?"

"हाँ, पहले कॉल-गर्ल्स थीं, अब मेरी रिकॉल-गर्ल्स हैं यादों की। कुछ इन्टरनेट की मॉडल्स और कुछ पोर्न-स्टार्स के फोटो नम्बर हैं ये। मैंने तो दोस्त दुनिया देख ली इतनी कम उम्र में! अब मरने का दुख भी न होगा!"

"फिर पूछता हूँ कि अपने पिताजी की दौलत यूँ उड़ा कर तुम्हें क्या मिला?" दोस्त ने उससे कहा।

अपनी मरियल सी काया को जोर का झटका देते हुए बैठ कर वह बोला- "क्या मिला? साहित्य और ज्योतिष की पुस्तकों में औरत के बारे में जो कुछ भी पढ़ा था, वह सब नज़दीक़ से जाना! शोध किया है मैंने औरतों पर, लड़कियों पर!"

"और फिर अविवाहित ही रह गया न, बीमारियाँ पाल कर! अब कोई लड़की या औरत आती है तुम्हारे नज़दीक़ इस कंगाली में!"

"यह मेरे शोध का विषय न था और न है!"

"तो तेरे वाले शोध से तुझे क्या मिला?"

"मैंने जान लिया मर्दों का सच और मर्दो की औक़ात!" यह कहते हुए उसने दोस्त की ओर देख कर कहा- "आज भी मर्द ही लड़कियों और औरतों को दशा और दिशा देता है!"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 25, 2017 at 3:22pm
मोहतरम जनाब गिरिराज भंडारी साहब, आप जैसे मंझे हुए ग़ज़लकार, लघुकथाकार की लघुकथाग्राफी से भी हम सीखने की कोशिश करते हैं !
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 25, 2017 at 3:15pm
मेरी इस पोस्ट पर समय देकर अपने विचार साझा करने व हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ साहब, डॉ. आशुतोष मिश्र जी, जनाब तस्दीक़ अहमद खान साहब और जनाब गिरिराज भंडारी साहब।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 23, 2017 at 9:03am

बहुत खूब ... मै इस् विधा की बारीकैयाँ नही समझ सकता .. बात बहुत अच्छी लगी । बधाई

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 21, 2017 at 8:12pm
आदरणीय शेख जी वर्तमान सामाजिक परिदृश्य का खूब् चित्रण किया हैं आपने इस गंभीर लघुकथा से इस रचना पर हार्दिक बधाई सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 19, 2017 at 7:36pm

मुहतरम जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , समाज को आईना दिखती हुई सुंदर
लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ---

Comment by Mohammed Arif on March 19, 2017 at 6:26pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, आधुनिक समाज के चरित्र का उजागर करती लघुकथा । बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service