For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग्रीष्म के हाइकु

1. झुलसी काया
आतंकी-सा सूरज
बेचैन सब ।
2.सूनी सड़कें
पसरा है सन्नाटा
जारी खर्राटे ।
3.डाल से टूटे
बरगद के पत्ते
सुनाए राग ।
4. सूखने लगे
पोखर औ तालाब
छोटी रात ।
5.नन्ही चीड़िया
करके जलपान
फुर्र हो जाए ।
6.चैत्र महीना
रात-दिन तपाए
किधर जाएँ ।
7.लू के थपेड़े
साँय-साँय सन्नाटा
सुस्ती में तन ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 717

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on April 5, 2017 at 10:11pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी हाइकु सराहना और हौसला अफज़ाई के लिए बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on April 5, 2017 at 10:09pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ।
Comment by Mohammed Arif on April 5, 2017 at 10:08pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी । लेखन को सार्थकता मिली ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 5, 2017 at 8:17pm

आदरणीय आरिफ भाई . गर्मी से परेशान आपके सभी हाइकु बहुत सुन्दर लगे ... हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 5, 2017 at 7:02pm

वाह्ह्ह्ह बहुत सुंदर सार्थक हाइकु लिखें हैं आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी दिल से बधाई लीजिये 

Comment by Mohammed Arif on April 4, 2017 at 8:13am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी । लेखन सार्थक हुआ ।
Comment by नाथ सोनांचली on April 4, 2017 at 4:54am
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब सादर अभिवादन। मौसम के अनुकूल बढ़िया हाइकू लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on April 3, 2017 at 9:39pm
हाइकु सराहना के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहब ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 3, 2017 at 9:07pm

मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब , मौसम का मंज़र बयान करते खूबसूरत हाइकू
हुए हैं , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ----

Comment by Mohammed Arif on April 3, 2017 at 8:43pm
उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service