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ग्रीष्म के हाइकु

1. झुलसी काया
आतंकी-सा सूरज
बेचैन सब ।
2.सूनी सड़कें
पसरा है सन्नाटा
जारी खर्राटे ।
3.डाल से टूटे
बरगद के पत्ते
सुनाए राग ।
4. सूखने लगे
पोखर औ तालाब
छोटी रात ।
5.नन्ही चीड़िया
करके जलपान
फुर्र हो जाए ।
6.चैत्र महीना
रात-दिन तपाए
किधर जाएँ ।
7.लू के थपेड़े
साँय-साँय सन्नाटा
सुस्ती में तन ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment

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Comment by Mohammed Arif on April 3, 2017 at 8:42pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी ।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on April 3, 2017 at 7:44pm
आ0 मोहम्मद आरिफ जी ग्रीष्म की तपिस लिए सुंदर हाइकुओं की दिल से बधाई।
अभी लिखा है।
गर्मी का जोर
ज्वालामुखी फटा
कहाँ है ठोर?
Comment by Samar kabeer on April 3, 2017 at 5:51pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,मौसम के असर में डूबे बढ़िया हाइकू लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on April 3, 2017 at 5:33pm
हाइकु पर पहली प्रतिक्रिया से अवगत व्यक्त करने के लिए बहुत-बहुत इभार आदरणीया कल्पना भट्ट जी ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 3, 2017 at 5:02pm
Sunder haiku

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