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ग़ज़ल (मुहब्बत ही निभाई दोस्तों ) -

ग़ज़ल (मुहब्बत ही निभाई दोस्तों )
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2122 -2122 -2122 -212

आँख उसने जब भी नफ़रत की दिखाई दोस्तों |
मैं ने बदले में मुहब्बत ही निभाई दोस्तों |

रुख़ तअस्सुब की हवा का भी अचानक मुड़ गया
जिस घड़ी शमए वफ़ा हम ने जलाई दोस्तों |

गम है यह इल्ज़ाम साबित हो नहीं पाया मगर
आज़माइश फिर भी क़िस्मत में है आई दोस्तों |

बन गया दुश्मन अमीरे शह्र मेरा इस लिए
हक़ की खातिर ही क़लम मैं ने उठाई दोस्तों |

टिमटिमाने लग गई हर शमअ जुगनू की तरह
किस की महफ़िल में हुई जलवा नुमाई दोस्तों |

कारवाँ की ख़ैरियत की मांगिए रब से दुआ
राह ज़न के हाथ में है रहनुमाई दोस्तों |

दुश्मने जाँ बन गई तस्दीक़ दौलत बाप की
यूँ मुखालिफ़ तो न भाई से है भाई दोस्तों |

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 5, 2017 at 9:59pm

मुहतरम जनाब गिरिराज साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला
का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---


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Comment by गिरिराज भंडारी on April 5, 2017 at 6:20pm

आदरणीय तस्दीक भाई , बेहतरीन गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 4, 2017 at 10:06pm

मुहतरम जनाब महेन्द्र कुमार साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला
अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी -----

Comment by Mahendra Kumar on April 4, 2017 at 9:53pm
बहुत बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय तस्दीक़ जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 4, 2017 at 7:00pm
मुहतर्मा राजेश कुमारी साहिबा ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया ----

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Comment by rajesh kumari on April 4, 2017 at 6:42pm

बहुत  सुंदर ग़ज़ल हुई मोहतरम जनाब तस्दीक साहब शेर दर शेर मुबारकबाद क़ुबूल करें |

Comment by Samar kabeer on April 4, 2017 at 10:11am
भाई,"क़लम"उर्दू के लिहाज़ से पुल्लिंग है, और हिन्दी में इस स्त्रीलिंग लेते हैं,ये में नीचे लिख चुका हूँ, लेकिन जब हम ग़ज़ल में इसे इस्तेमाल करें तो पुल्लिंग ही लेना बहतर होगा,हाँ लघुकथा या छन्द में इसे आप स्त्रीलिंग ले सकते हैं,इससे ये बात सामने आई कि ये शब्द दोनों तरह से लिया जा सकता है,भाई निलेश जी ने जो लिखा है वो ग़ज़ल के हिसाब से लिखा है ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 3, 2017 at 9:18pm

मुहतरम जनाब समर साहिबआदाब , जहाँ तक मेरी जानकारी है ''क़लम '' लफ्ज़ का
इस्तेमाल पुल्लिंग और स्त्रिलिन्ग दोनो में हो रहा है| तारीख 28 -02 -2016 को लघुकथा
गोष्टी अंक -11 में मैं ने लघुकथा ''साथी '' विषय पर पोस्ट की थी ,उसमें '' क़लम उठाया ''
लिखा था तब कॉमेंट में कहा गया था कि ''क़लम ''स्त्रीलिंग है ,उसे क़लम उठाई कर दिया था
----सादर

Comment by Samar kabeer on April 3, 2017 at 10:28am
"क़लम"उर्दू में पुल्लिंग है,और हिन्दी में स्त्रीलिंग ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 3, 2017 at 7:09am
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया--

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