For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

याद मेरी दिला रही होगी (गजल)/सतविन्द्र कुमार राणा

2122 1212 22
उनको हिचकी सता रही होगी
याद मेरी दिला रही होगी

चैन दिल का खो गया होगा
आँसुओं को बहा रही होगी

फ्रेम कस के पकड़ लिया होगा
प्यार तस्वीर पा रही होगी

हौंसला काम कर गया होगा
पास मंजिल अब आ रही होगी

वक्त के साथ सब बदलते हैं
रुत यही तो सिखा रही होगी

भूख ने दूर कर दिए बच्चे
कैसे माँ मन लगा रही होगी ?

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 899

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 13, 2017 at 8:28pm
आदरणीय तेजवीर सिंह जी हौंस्लाफ्जाई के लिए सादर आभार नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 13, 2017 at 8:25pm
आदरणीय महेन्द्र कुमार जी,सादर नमन। हौंसला अफजाई के लिए शुक्रिया।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 13, 2017 at 8:23pm
आदरणीय गिरिराज सर,सादर नमन!आप द्वारा सुझाए अनुसार परिष्कार कर लिया है। प्रोत्साहन और मार्गदर्शन के लिए शुक्रिया।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 13, 2017 at 8:22pm
आदरणीय सुरेश भाई जी,सादर हार्दिक आभार हौंस्लाफ्जाई के लिए।
Comment by Mahendra Kumar on April 13, 2017 at 7:30pm
बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय सतविंद्र जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by TEJ VEER SINGH on April 9, 2017 at 10:49am

बेहतरीन गज़ल आदरणीय सतविंदर जी। हार्दिक बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 9, 2017 at 7:36am

आदरणीय सतविन्द्र भाई , खूब सूरत गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाई .. बाक़ी बाते आ. समर भाई कह ही चुके हैं ... एक बात मै कहना चहता हूँ  --  उसको हिचकी सता रही होगी     ---- उनको हिचकी सता रही होगी   -- ये और अच्छा लगेगा । मिसरा गलत नही है आपका ।

Comment by Samar kabeer on April 8, 2017 at 6:00pm
मेरे कहे को मान देने के लिये धन्यवाद ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 8, 2017 at 5:56pm
आदरणीय समर कबीर जी,सादर नमन!प्रयास को पसन्द कर मार्गदर्शन करने के लिए,तहेदिल शुक्रिया।आपके मार्गदर्शन अनुरूप परिमार्जन करने का प्रयास किया है।सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 8, 2017 at 5:52pm
आदरणीया राजेश दीदी,प्रयास आपको पसन्द आया,यह सार्थक हुआ।सादर हार्दिक आभार संग नमन!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service