For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक महान जासूसी लेखक

करार के अनुसार उसने उस महान जासूसी लेखक की चाकू से गोद कर हत्या की और तेजी से घर के बाहर निकल गया।

आज से कुछ दिन पहले हत्यारे के घर में। "तुम अपनी ही हत्या क्यों करवाना चाहते हो? तुम पागल तो नहीं हो?" हत्यारे ने चौंकते हुए कहा।

"नहीं। मैं एक महान जासूसी लेखक हूँ।" उस आदमी ने अपना परिचय दिया।

"पर अपनी हत्या क्यों?" उसने उत्सुकता ज़ाहिर की।

"क्योंकि मैं चाहता हूँ कि लोग मेरी कहानियों की क़द्र करें। मैंने उन्हें रहस्य से भरी हुई अद्भुत और शानदार कहानियाँ दीं पर उन्हें कोई परवाह नहीं। अब मैं उन्हें अपनी मौत के रूप में एक ऐसी गुत्थी दूँगा जिसे वो कभी हल नहीं कर पाएँगे और तब उन्हें मेरी क़ीमत का असली एहसास होगा। मेरी कहानियाँ मेरे मरने के बाद ज़िन्दा हो जाएँगी।"

हत्यारे को यक़ीन हो गया कि यह ज़रूर कोई पागल है। वह मन ही मन उसकी मूर्खता पर हँस रहा था।

अपनी पूरी योजना विस्तार से बताते हुए उसने आगे कहा, "अगर तुम वैसा ही करते हो जैसा मैंने तुम्हें कहा है तो यक़ीन करो तुम कभी नहीं पकड़े जाओगे चाहे कितना भी बड़ा जासूस इसकी जाँच क्यों न करे। यह एक परफ़ेक्ट मर्डर होगा, परफ़ेक्ट मर्डर।"

हत्यारा अब अपने घर पहुँच चुका था। दरवाज़ा खोलने पर उसने देखा कि नीचे एक लिफ़ाफ़ा पड़ा हुआ है। उसने उसे उठाया और खोला। लिफ़ाफ़ा खुलते ही उसकी सांस के साथ कुछ अन्दर गया और थोड़ी ही देर में उसकी मौत हो गयी।

उस लिफ़ाफ़े को वहाँ पर उसी महान जासूसी लेखक ने रखा था।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on April 13, 2017 at 8:38pm
आपने बिलकुल सही कहा आ.राजेश मैम। लघुकथा को पसन्द करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 12, 2017 at 11:04am

अर्थात उस लेखक ने कोई सबूत भी नहीं छोड़ा अपनी हत्या का ...वाह्ह्हह्ह लघु कथा अच्छी लगी ..कुछ अलग ..

बहुत बहुत बधाई आद० महेंद्र कुमार जी 

Comment by Mahendra Kumar on April 9, 2017 at 10:46pm
आदरणीय समर कबीर सर, आदाब। लघुकथा को पसन्द करने के लिए आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
Comment by Mahendra Kumar on April 9, 2017 at 10:43pm
आदाब आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी। रचना को पसन्द करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
Comment by Samar kabeer on April 9, 2017 at 5:43pm
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,बहतरीन कथानक,कसी हुई सधी हुई लघुकथा के लिये दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on April 9, 2017 at 2:45pm
आदरणीय महेंद्र कुमार जी आदाब, बेहतरीन कथानक, अच्छी लघुकथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service