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एक महान जासूसी लेखक

करार के अनुसार उसने उस महान जासूसी लेखक की चाकू से गोद कर हत्या की और तेजी से घर के बाहर निकल गया।

आज से कुछ दिन पहले हत्यारे के घर में। "तुम अपनी ही हत्या क्यों करवाना चाहते हो? तुम पागल तो नहीं हो?" हत्यारे ने चौंकते हुए कहा।

"नहीं। मैं एक महान जासूसी लेखक हूँ।" उस आदमी ने अपना परिचय दिया।

"पर अपनी हत्या क्यों?" उसने उत्सुकता ज़ाहिर की।

"क्योंकि मैं चाहता हूँ कि लोग मेरी कहानियों की क़द्र करें। मैंने उन्हें रहस्य से भरी हुई अद्भुत और शानदार कहानियाँ दीं पर उन्हें कोई परवाह नहीं। अब मैं उन्हें अपनी मौत के रूप में एक ऐसी गुत्थी दूँगा जिसे वो कभी हल नहीं कर पाएँगे और तब उन्हें मेरी क़ीमत का असली एहसास होगा। मेरी कहानियाँ मेरे मरने के बाद ज़िन्दा हो जाएँगी।"

हत्यारे को यक़ीन हो गया कि यह ज़रूर कोई पागल है। वह मन ही मन उसकी मूर्खता पर हँस रहा था।

अपनी पूरी योजना विस्तार से बताते हुए उसने आगे कहा, "अगर तुम वैसा ही करते हो जैसा मैंने तुम्हें कहा है तो यक़ीन करो तुम कभी नहीं पकड़े जाओगे चाहे कितना भी बड़ा जासूस इसकी जाँच क्यों न करे। यह एक परफ़ेक्ट मर्डर होगा, परफ़ेक्ट मर्डर।"

हत्यारा अब अपने घर पहुँच चुका था। दरवाज़ा खोलने पर उसने देखा कि नीचे एक लिफ़ाफ़ा पड़ा हुआ है। उसने उसे उठाया और खोला। लिफ़ाफ़ा खुलते ही उसकी सांस के साथ कुछ अन्दर गया और थोड़ी ही देर में उसकी मौत हो गयी।

उस लिफ़ाफ़े को वहाँ पर उसी महान जासूसी लेखक ने रखा था।

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Mahendra Kumar on April 13, 2017 at 8:38pm
आपने बिलकुल सही कहा आ.राजेश मैम। लघुकथा को पसन्द करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।

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Comment by rajesh kumari on April 12, 2017 at 11:04am

अर्थात उस लेखक ने कोई सबूत भी नहीं छोड़ा अपनी हत्या का ...वाह्ह्हह्ह लघु कथा अच्छी लगी ..कुछ अलग ..

बहुत बहुत बधाई आद० महेंद्र कुमार जी 

Comment by Mahendra Kumar on April 9, 2017 at 10:46pm
आदरणीय समर कबीर सर, आदाब। लघुकथा को पसन्द करने के लिए आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
Comment by Mahendra Kumar on April 9, 2017 at 10:43pm
आदाब आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी। रचना को पसन्द करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
Comment by Samar kabeer on April 9, 2017 at 5:43pm
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,बहतरीन कथानक,कसी हुई सधी हुई लघुकथा के लिये दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on April 9, 2017 at 2:45pm
आदरणीय महेंद्र कुमार जी आदाब, बेहतरीन कथानक, अच्छी लघुकथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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