For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...प्रीत का मौसम सुहाना आ गया

2122 2122 212
प्रीत का मौसम सुहाना आ गया
चोट खा के मुस्कुराना आ गया

चल रही पुरवा बसन्ती झूम के
टेसुओं को खिलखिलाना आ गया

खिल उठे मधुवन तुम्हारे नाम से
हर कली को गीत गाना आ गया

याद आई फिर तुम्हारी साँझ में
आँसुओं को गुनगुनाना आ गया

दीप ये किसने जलाये बाम पे
याद फिर गुजरा ज़माना आ गया

खिल उठी विस्तृत गगन में चाँदनी
रात को लोरी सुनाना आ गया
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 867

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 19, 2017 at 8:35pm
आदरणीय डा.साहब आपके स्नेहमयी उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ..सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 18, 2017 at 4:19pm

आदरणीय ब्रिजेश जी   आपकी यह ग़ज़ल मुझे बहुत पसंद आयी ..गुदगुदाती सी इस शानदार ग़ज़ल  के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 16, 2017 at 11:56pm
मुझे ख़ुशी है आदरणीय की रचना से आपको उस युग का आभास हुआ..वो महान साहित्यकारों का युग था। मैं अभी विद्यार्थी हूँ तो कोशिश करूँगा जितना अधिक सीख सकूँ..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 16, 2017 at 5:47pm
सर्व प्रथम रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार आदरणीय अनुराग जी..सुधार की गुंजाईश सदैव बनी रहती है..अगर आप थोड़ा और प्रकाश डालें तो मेरे लिए आसानी होगी..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 16, 2017 at 5:15pm
आदरणीय 'कुशक्षत्रप' जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार..सादर
Comment by नाथ सोनांचली on April 16, 2017 at 11:13am
जनाब बृजेश कुमार'ब्रज'साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 15, 2017 at 10:46pm
आदरणीय समर साहब सादर अभिवादन..हमेशा की तरह आपके स्नेह के लिए हार्दिक आभार..
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 15, 2017 at 10:44pm
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी रचना के भावों को अंतर से महसूस करने के लिए कोटि कोटि आभार..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 15, 2017 at 10:43pm
आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन..आप जैसे मर्मज्ञ जब जब हौसलाफजाई करते हैं बाकई में प्रसन्नता दोगुनी हो जाती है..
Comment by Samar kabeer on April 15, 2017 at 5:58pm
जनाब बृजेश कुमार'ब्रज'साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
8 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service