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आदरणीय बृजेश जी आपने हमारे मश्वरे पर ध्यान देकर प्रतिक्रिया दी आभार हमारे कहने का आशय इतना सा है कि उर्दू में जहर कहर शहर आदि का वज्न जह्र कह्र शह्र के अनुसार 21 में लिया जाता है जब कि आम तौर पर बोलने में आपके लिखे अनुसार 12 के वज्न में कहा जाता है उसी अनुसार आपने मिसरा बांधा है । हमारा अनुरोध इतना ही है कि हमें जानकारी होनी चाहिये मिसरा आप कैसे बांधते है ये अापकी इच्छा है आदरणीय अनुराग जी की गजल के हवाले से एक लंबी चर्चा अभी कुछ दिन पहले ही मंच पर हुई है उसे पढें तो आपको शब्द और उसके प्रयोग को लेकर काफी जानकारी मिल सकती है ।
आखिरी शेर के सानी में आपने कहा है मुफलिसों की और जरूरत भी क्या है । और जहां तक हम समझ पा रहे है कि उला ये स्थापति कर रहा है सरे राह घर है अर्थात बीच राह में घर है धरती बिछौना है ।हमे लगता है कि सानी में व्यक्त कथन की पुष्टि ही उला मे हो भला और ( वो क्या है जो उपलब्ध है जिनके अलावा उन्हे और कुछ नहीं चाहिये ) जो कि आपके दोनो मिसरे आपस मेंसंबद्ध होकर कह नहीं पा रहे । शायद हमारी बात स्प्ष्ट हुई हाेगी
गजल के प्रति आपकी लगन देख कर बहुत खुशी हो रही है ।
सुधिजनों अपने विचार व्यक्त कर दिये हैं, मेरी तरफ से इस प्रयास के लिए बधाई लीजिए
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